गजल

सहते सहते सहार हो जाई दुखवा बढ़ि के पार हो जाई   तनी साजल करीं तरीका से ई जवानी उलार हो जाई   छोड़s रहे दs बतिया जाय दs ना तs दुनिया जितार हो जाई   छोड़s नफरत के ,प्यार का राहे सभे केहू तोहार हो जाई   तनी माटी नरम तू होखे द s सारा दुनिया से प्यार हो जाई   सहजे-सहजे केहू से मिलs तू ना तs मिललो बेकार हो जाई   ◆◆◆   कारीअंखिया में कजरा के धार सजनी चले छतिया पर हमरे कटार सजनी   दूनू…

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गजल

मुहब्बत खेल ह अइसन कि हारो जीत लागेला भुला जाला सभे कुछ आदमी , जब प्रीत लागेला   अगर जो प्यार मे मिल जा त माँड़ो-भात खा लीले मगर जो भाव ना होखे , मिठाई तीत लागेला ।   पड़े जब डांट बाबू के , छिपीं माई के कोरा मे अजी ई बात बचपन के मधुर संगीत लागेला   कबों आपन ना आपन हो सकल मतलब का दुनिया मे डुबावत नाव उहे बा , जे आपन हीत लागेला   कहानी के तरे पूरा करीं, रउवे बताईं ना बनाईं के तारे…

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भिनसहरा

”फूटल , किरिनिया ,त, मन, मुसूकाइल बिहंसल, भोर- भिनसार , लक-दक फुलवा, के, भरल बगइचा से , धरती के सोरहो सिंगार i   उचरत- कगवा ,लेअइलस , सनेसवा , बहुरल ,दिनवा ,हमार , पुरुबी -बयरिया ,उड़वलस अंचरवा …   … चुनरी भरल, कचनार i   मुंहवा के ,पनिया, सजनिया ,निहारे ख़ुशी -ख़ुशी ,ओसरा , दुवार उदित सुरुजवा के ,जगमग, ज्योतिया से, चहु दिशी ,सब उजिआर i   घर के पूरनिया , जे ,दूअरा बइठी के , सुमिरेलें, डीह-डीहवार , मारे, किलकारी ,सब, लइका -लइकिया , बरसेला ममता अपार!   गांव…

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मजदूर के प्रेमकथा

मनोज एगो डेहारी मजदूर रहें। अभी-अभी नया साल में ही ओकर शादी भाईल रहें। मनोज के सब साथी आपन मेहरारु के साथे घुमे जात बारे वेलेंटाईन डे पर। मनोज भी सोचलस की हमू काहे ना आपन औरत के कही घुमावे ले जाई। मनोज एगो खुशीदिल इंसान रहें। ठेकेदार से पाईसा लेके मनोज प्लान बनाईलस कि 14 फ़रवरी के हम भी आपन औरत के बिग-बाजार घुमावे ले जाएम। ई बात सुन के मनोज के औरत बहुत खुश भईल और ऊ दुनू मियाँ बीबी बिग-बाजार घुमे खातिर गईले। मनोज के कहला पर…

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बोरसी

घर में नाया सामान के अइला पर पुरनका के पूछ घट जाला कबो कबो त खतमें हो जाला , कमो बेस घर परिवार आ हितइयो के ईहे हाल होला जइसे जीजा के अइला पर फूफा के पूछ कम हो जाला, बेटी के होते बहिन के पूछ घट जाला ,नात नतकुर के होते आजा आजी पर फोकस कम हो जाला । ठीक अइसहीं अनदेखी क सिकार बेचारी ‘बोरसी’ देवी भी भइल बाड़ी। हीटर आ ब्लोवर के अइला से बोरसी देवी घर से बहरे क दीहल गइली, एकाध जनी बचल बाड़ी त…

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गीत

सपना मे सुध–बुध के खेती अंगे-अंग कचनार । सखी रे, अइसन होला प्यार ।   लैला-मजनू हीर के देख प्रेम मे पसरल पीर के देख राधा के पायल के धुन पर मुरली के तस्वीर के देख श्रवण के कांधे के बहँगी जगत भइल उजियार । सखी रे, अइसन होला प्यार ।   लक्ष्मण,राम,भरत सम भाई दुर्दिन मे जे साथ निभाई भूखा रहके भाग्य जगावे अइसन जग मे चाही भाई । जब भाई के प्रेम कथा सुन छलके लोरन के धार । सखी रे, अइसन होला प्यार ।   यमुना तट…

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देंह फागुन महीना हमार भइल बा

जहिए से नैना दु से चार भइल बा, इंतजार में मजा बेसुमार भइल बा I   पह फाटल हिया में अंजोर हो गइल, पाँख में जोस के भरमार भइल बा I   जाल बंधन के तहस नहस हो गइल, संउसे धरती आ अम्बर भइल बा I   पूस के दिन बीतल बसंत आ गइल, देंह फागुन महीना हमार भइल बा I   महुआ फुलाइल आम मोजरा गइल, हमरा दिल में नसा बरियार भइल बा I   डॉ. हरेश्वर राय, सतना, मध्य प्रदेश  

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डिजिटल जमाना अउर रामधनी बब्बा

खुद से त अब नाही उनकर कइल बा लड़िकन के बुद्धि पे पत्थर धइल बा मोदी क अभियान का चल गइल बा रामधनी बब्बा क फजीहत भइल बा   जब से खुलल हउए जनधन क खाता खाता में रुपिया न आवत न जाता कुछ गड़बड़ी बा रुकल बाटे पेंशन बब्बा से ज्यादा हौ आजी के टेंशन न पइसा मिली त चली काम कइसे बिना माल मुद्रा क आराम कइसे टूटल हउए खटिया फटल बा रजाई इ सुरति सुपारी कहाँ से अब आयी बब्बा लगवअत हयन खूब चक्कर घुमावअत बहुत हउए…

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कवन गीत हम गाईं बसन्ती

कठुआइल उछाह लोगन के, मेहराइल कन -कन कवन गीत हम गाईं बसन्ती पियरी रँगे न मन !!   हर मजहब के रंग निराला राजनीति के गरम मसाला खण्ड खण्ड पाखण्ड बसन्ती चटकल मन – दरपन !!   गठबन्धन के होय समागम तिहुआरी टोटरम के मौसम धुआँ -धूरि कोहराम मचावे धरती अउर गगन !!   गलत कलेण्डर के तिथि लागे जे देखs ,बउराइल भागे कोइलरि गइल बिदेस भँवरवा गड़ही – तीर मगन !!   हिम-तुसार-बदरी घिरि आइल जाय क बेरिया माघ ठठाइल चुभ-चुभ धँसे बरफ के टेकुआ सन् सन् चले पवन…

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भोर हो गइल

खोल द दुआर, भोर हो गइल। किरिन उतर आइल, आ खिड़की के फाँक से धीरे से झाँक गइल, जइसे कुछ आँक गइल, भीतर से बन्द बा केंवाड़ी त बाहर के साँकल के पुरवाई झुन से बजा गइल, आँगन के हरसिंगार, दुउरा के महुआ जस, चू-चू के माटी पर अलपना सजा गइल, ललमुनियाँ चहक उठल, बंसी के तान थोर हो गइल।। रोज के उठवना जस, ऊठ, अब जाग त किरिन-किरिन जूड़ा में खोंस ल, झुनुक-झुनुक साँकल से पुरवाई बोलल जे, पायल में पोस ल ; अँचरा से महुआ के गंध झरल हरसिंगार…

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