दुनियाँ में हम सबसे अउवल कविता हउवे बात बनउवल। गढ़ीं भले कवनों परिभाषा मंच ओर तिकवत भरि आशा गोल गिरोह भइया दद्दा साँझ खानि के पूरे अध्धा। कबों कबों त मूड़ फोरउवल। कविता हउवे….. कवि के कविता, कविता के कवि उनुके खाति कबों उपमा रवि अब त ज़ोर जोगाड़ू बाटै पग पूजी के चानी काटै। कबों कबों के गाल बजउवल। कविता हउवे….. कुछ के चक्कर भारी चक्कर ज्ञान कला के लूटत जमकर बोअल जोतल खेती अनके बेगर लाज खड़ा बा तनके कबों कबों के टांग खिंचउवल। कविता…
Read MoreDay: June 16, 2023
गीत
बिख उगे घमवा अषाढ़ महीनवां में, बरखा के आस नाहीं सुरुज धिकाइल बा। पोखरी तलइया में नीर नाहीं नदी सूखि, त्राहिमाम सगरो धरतिया सुखाइल बा। झन-झन झिंगुरा झनकि दुपहरिया में, पेड़वा क पतवा मुरुझि लरुआइल बा। दुबुकल चिरइया खतोंगवा में छांह खोजि, बचवन के सँगवा पियासल पटाइल बा। धनि-धनि बदरा ना लउके सपनवों में, पपीहा वियोग जरें गर रून्हिआइल बा। केकरा अंजोरवा तूं अइबा बदरवा हो, जुगुनू के बत्तिया पसेनवा बुताइल बा। हेरें असमनवां में चान के अंजोरिया हो, खेतिया किसनिया के बेला इहे आइल बा। मेझुका मिलन बाट जोहेलीं…
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