गाड़ी टेसन से अबही छूटल ना रहेल सवारी अपने मे अरूझायल हउए । केहू सूटकेस मे चेन लगावत ह,त केहू आपन बेग के सही करत ह,त केहू आपन सीट न. खोजत बा।तबही धच – घचक करत गाड़ी आगे बढै़ लगल । तब ले वहीं मे से केहू क अवाज सुनाईल ,इंजन लग गयील अब गाड़ी थोड़कीय बेर मे चली।चाय ले ला…..चाय।कुरकुरे दस रूपिया….दस। कहत चायवाला डिब्बा में घुसल। अबही गाड़ी अपने पुरे रफ्तार में आवै, बुधिया खिड़की के पास बैइठ गइल।बहरे पलेटफारम छोड़त आगे बढ़त गाड़ी क चाल समझै लगल…
Read MoreCategory: लघुकथा
बसमतिया
बसमतिया के उपर बडा कठिन समय बा हस्पताले चहुपे के ।सॉय सॉय करत अन्हरीया बा । कोरा मे बोखार से तपत ओकर साल भर क् बेटवा। फटहीा लुगरी मे लपेटले अपने दुधमुहा दुलरूवॉ के करेजा से चिपटवले बसमतिया अपने भतारे के पीछे पीछे भागत चलत जात बदहवासल एक गो मतारी “का जाने भगवान हमसे काहे के नराज हउए?…..हमरे पुजा भगती मे कौन कसर रहि गयल का जाने गोलूआ के बाबू से कउनो अनहित ना न भईल जवने से देवी देवता नराज हउए गोलुआ क् शरीर तवा जैसन जरत बा.. दोहाइ…
Read Moreबदरो मरसिया बांचत ह
संवत २०७३ अषाढ़ अन्हरिया पख के रात क समय बा सगरो आसमान में बदरी घेरले ह तनिकों देखात नइखे , हवा सिहरा देत बा । हल्की झींसी पडै़ लगल ह , हवा चहूँ ओर सांय सांय करत बा । पुरा गोपालपुर गॉव नींद मे सुतल ह ,लेकिन हमरे आंखी मे नींद कहॉ ? अब पहिले जइसन गाव ना रहल । ई बात ना ह कि गॉव विकास ना भइल । परमुख बाबा राजनाथ के परयास से गॉव मे पिच रोड़ ,खरंजा, पा० स्कूल बा सोसाईटी क गोदाम बा पंचायत भवन…
Read Moreमजबूरी
कल्लूआ के उमर जब तीन साल के रहे तबे ओकरा बाबूजी के देहांत हो गईल। कल्लू के पूरा जिम्मेवारी अब ओकरा माई पर आ गईल। ओकर माई मेहनत-मजूरी क के पाले लगली, समय बीते लागल। कल्लूआ के एके गो काम रहे, खाईल-पीअल आ कसरत कईल। वक्त के साथे कल्लू एगो गबरू जवान के रूप में उभरल। अब ऊ इलाका के दबंग साधू के सीधे-सीधे टक्कर देबे लागल, जूर्म के बिरोथ करे लागल। साधू के दसो आदमी पर कल्लूआ अकेले भारी परे । साधू के आपन रूतबा खतम होखे के डर…
Read Moreका मरदे का हाल बा
पहिला बार जोगेश्वर भाई के केहूँ मुम्बई बोलाइले रहे ई कह के आवऽ बहुत बढ़िया कम्पनी बा, फ्रेशर्स लइकन खातिर सिखे के बहुत बढिया जगह बाटे। जोगेश्वर भाई किशोरावस्था से आगे निकल चुकल रहलन अब उनका आपन जिम्मेदारी के आभार हो चुकल रहें जेंगन हम के भी आभार हो चुकल रहे आउर आखिर जिम्मेदारी के आभास होई काहे ना उनका। घर के बड़ बेटा जे ऊ रहले हमरे नियन उहो। माई के आंसू आ बाबूजी के परेशानी आ दर देयाद पर पटिदार के वर्ताव आ रिश्तादार लोगन के ताना बाना…
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