डिजिटल जमाना अउर रामधनी बब्बा

खुद से त अब नाही उनकर कइल बा लड़िकन के बुद्धि पे पत्थर धइल बा मोदी क अभियान का चल गइल बा रामधनी बब्बा क फजीहत भइल बा   जब से खुलल हउए जनधन क खाता खाता में रुपिया न आवत न जाता कुछ गड़बड़ी बा रुकल बाटे पेंशन बब्बा से ज्यादा हौ आजी के टेंशन न पइसा मिली त चली काम कइसे बिना माल मुद्रा क आराम कइसे टूटल हउए खटिया फटल बा रजाई इ सुरति सुपारी कहाँ से अब आयी बब्बा लगवअत हयन खूब चक्कर घुमावअत बहुत हउए…

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