मनईन के समाज आउर समय के चाल के संगे- संगे कवि मन के भाव , पीड़ा , अवसाद आउर क्रोध के जब शब्दन मे बान्हेला , त उहे कविता बन जाला । आजु के समय मे जहवाँ दूनों बेरा के खइका जोगाड़ल पहाड़ भइल बा , उहवें साहित्य के रचल , उहो भोजपुरी साहित्य के ,बुझीं लोहा के रहिला के दांते से तूरे के लमहर कोशिस बा । जवने भोजपुरी भाषा के तथाकथित बुद्धिजीवी लोग सुनल भा बोलल ना चाहेला , उहवें भोजपुरी के कवि / लेखक के देखल ,…
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