गीत

हो घेरलस करिया बदरिया, रोपनी के सुतार आ गईल। बहे लागल पुरवा बयरिया, हमनी के बहार आ गईल। जइसे उड़े सड़िया अचरिया, गछियन के लहार आ गईल। रोपे चलस गोरिया संवरिया, पायलन के झंकार आ गईल। झमर झमर बरसे बुनरिया, छातवो में फुहार आ गईल। कड़कड़ाए चमके बिजुरिया, लुकाएके ओहार आ गईल। गावे के गीतवा कजरिया, मनवा में हमार आ गईल। संतोष कुमार, नरकटियागंज, पश्चिमी चंपारण, बिहार।

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