तू त देखतअ हउअ सब दिन-रात बरम बाबा नाहीं बा अब पहिले जइसन बात बरम बाबा सुक्खू अपने अँगने में भी नल लगवा लेहलेन कुँआ पाट के रामधनि बइठका बना देहलेन बुधनी के दुआर पर खम्भा घर में लाइट बा बालकिशुन बिल देवे लगलेन जेबा टाइट बा घरे-घरे पैखाना बा ,लोटा क जुग बिसरल केहू नाही अब जंगल में जात बरम बाबा || घर घर में टीवी बा ,डिश बा,इंटरनेट भी बा सबके पल्ले मोबाईल क बढ़िया सेट भी बा बर्गर,पिज़्ज़ा,चाउमीन सब मिलय लगल अब त केक, पेस्ट्री ,काफी,कुल्फी दिखय लगल अब त …
Read MoreTag: विनोद पाण्डेय
कुछ दिन बचके रहअ गुरु
कुछ दिन बचके रहअ गुरु घर में घुस के रहअ गुरु केहू से मत तनिक सटअ सबसे कट के रहअ गुरु फइलल बाटै खूब कोरोना ख़ूब मचल हौ रोना-धोना कउनो दवा न असर करत बा नाहीं कउनो मंतर टोना चीन से फइलल दुनिया भर में गाँव-गाँव में,शहर-शहर में एक लोग से अउर लोग में एक घरे से, दुसरे घर में सर्दी से शुरुआत करअ ला खाँसी दिनों रात करअ ला फिर जम के बुखार देला ई किडनी पर फिर घात करअ ला पहिले चीन में ठोकलेस ताल फिर इटली…
Read Moreकेकरे ख़ातिर
दिनवा दिनवा भागत हउवअ केकरे खातिर रतिया रतिया जागत हउवअ केकरे खातिर बीवी-बच्चा ख़ातिर भी ना समय बचत बा ऑफिस में ही सारा-सारा समय कटत बा पइसा त आवत बा लेकिन जीवन बा फीका पइसा खर्च करअ क टाइम कहाँ मिळत बा बहरअ रहअ चाहत हउवअ केकरे खातिर झूठअ मन बहलावत हउवअ केकरे खातिर करअ नौकरी के रोकत बा खूब करअ खिंचअ रुपिया के टोकत बा खूब धरअ लेकिन अपने देहियों क तनी करअ फिकिर के कहले बा नया जमाना देख मरअ बेटाइम क चाभत हउवअ केकरे खातिर छुप के चूरन फांकत हउवअ केकरे खातिर दूसरे क बस देख -देख क होड़ मचल…
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