एगो किताब के भूमिका में रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव ऊर्फ जुगानी भाई लिखले बाड़े कि ‘भाषा आ भोजन के सवाल एक-दोसरा से हमेशा जुड़ल रहेला। जवने जगही क भाषा गरीब हो जाले, अपनहीं लोग के आँखि में हीन हो जाले, ओह क लोग हीन आ गरीब हो जालंऽ।’ ओही के झरोखा से देखत आज बड़ा सीना चकराऽ के कहल जा सकत बा कि भोजपुरी समृद्ध बा, भोजपुरिया मनई समृद्ध बा। हमरा ई बात कहला के बहाना श्रेष्ठ शिक्षक, सुलझल मनई आ सरस मन के मालिक कवि-साहित्यकार डाॅ. रामरक्षा मिश्र विमल जी के किताब ‘फगुआ के पहरा’ बा। एह किताब के…
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