गीत

बिख उगे घमवा अषाढ़ महीनवां में, बरखा के आस नाहीं सुरुज धिकाइल बा। पोखरी तलइया में नीर नाहीं नदी सूखि, त्राहिमाम सगरो धरतिया सुखाइल बा। झन-झन झिंगुरा झनकि दुपहरिया में, पेड़वा क पतवा मुरुझि लरुआइल बा। दुबुकल चिरइया खतोंगवा में छांह खोजि, बचवन के सँगवा पियासल पटाइल बा। धनि-धनि बदरा ना लउके सपनवों में, पपीहा वियोग जरें गर रून्हिआइल बा। केकरा अंजोरवा तूं अइबा बदरवा हो, जुगुनू के बत्तिया पसेनवा बुताइल बा। हेरें असमनवां में चान के अंजोरिया हो, खेतिया किसनिया के बेला इहे आइल बा। मेझुका मिलन बाट जोहेलीं…

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सावनी गीत

पूरुब से आवेले बदरिया नु हो,जहां पिया जी हमार। भींजे मोरी कोरी रे चुनरिया नु हो,नाहीं बाड़ें रखवार। पुरुवा के झोंकवा से सिहरे बदनियां। टप टप अंचरा से चूवे मोरा पनियां। आगि लगो कोठवा अंटरिया नु हो, नाहीं बाड़ें रखवार। पूरुब से आवेले बदरिया नु हो,जहां पिया जी हमार। पिऊ पिऊ बोलेला मोर पिछवरवां। निनिया पराई गइलीं ननदी बहरवां। झलुआ क गीतिया बिरहिया नु हो, नाहीं बाड़ें रखवार। पूरुब से आवेले बदरिया नु हो,जहां पिया जी हमार। संझवा बिहनवां ना लागे मोर मनवां। सासु सुत्तें अंगना ससुर जी दलनवां। सेजिया…

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सावनी गीत

दिनवां धराइदा मोर सजनवां, सवनवां उदास लागे गोइयां। जहर बोले सगरो जमनवां, सवनवां उदास लागे गोइयां। संघे के सहेली सब करेलीं ठिठोली। कहिया तोहार होई बोलेलीं किबोली। नइहर में लागे नाहीं मनवां। सवनवां उदास लागे गोइयां। छतिया में हूक उठे घेरे जब बदरिया। केहू कहां छोड़ेला आपन गुजरिया। कधले देखइबा बस सपनवां। सवनवां उदास लागे गोइयां। अंगराइल देंहिया ना सम्हरे अंचरवा। देखि देखि बरसे ला बैरी बदरवा। कहिया लेजइबा मोर गवनवां। सवनवां उदास लागे गोइयां। राकेश कुमार पांडेय गांव-हुरमुजपुर सादात,गाजीपुर

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