कजली मंजू मल्हार

भोजपुरी लोक में तरह-तरह के गीतन के विधा बा। एहि लोक के कंठ में रचल-बसल एगो विधा के नांव बा कजली अथवा कजरी। भोजपुरी लोक जीवन खेती बारी प आधारित बेवस्था ह, आ खेतीबारी के चक्र आधारित बा मौसम बा रितुअन प। सुरूज़ जब उत्तरायन होखला के बाद आपन ताप से एह क्षेत्र के दहकावत रहेले त मानव से ले के हर जीव जन्तु के मन में इहे रहेला कि कब आसाढ़ के महीना आवे आ सुरूज़ के ताप कम होखे। कब बरखा के फुहार से कब धरती सराबोर होखस,…

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‘बस्तर डाइरी’ के कुछ पन्ना ….’लाल गलियारा’ से लवट के

बस्तर आपन प्राकृतिक खबसूरती के अलावे कला-संस्कृति के दुनिया में एगो खास जगह राखेला। हाल-हाल तक ई इलाका ‘नक्सली’ हिंसा के चपेट में रहे आ ‘लाल गलियारा’ के धुरी बनल रहे। हम रायपुर से रात के बस धर के भोरे बस्तर के मुख्यालय चहुंपनी। फजीरे फजीरे केनियों भटके के मन ना करत रहे तऽ बस स्टैंड के ऊपरी तल्ला पऽ बनल ‘यात्री निवास’ में रुके के इरादा भइल। रूम लियाइल आ जेबी नासता करे निकले के मन भइल तबले पता चलल कि हमनी भीरी ताला ना रहे। मनेजर से पुछनी…

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कवन ठगवा नगरिया लूटलस हो…

नगर निगम चुनाव प कुछ हमार निजी अनुभव, जरूरी नइखे कि रवुआ हमार बात से सहमत होखीं।आरा शहर प पिछिला कुछ दिन से नगर निगम चुनाव के खुमार चढ़ल बा. आज सांझी के 5 बजे जा के भोजपुरी-हिंदी के पैरोडी कानफाडू गीत आ डी जे के हल्ला बंद भईल. कबो शाहाबाद के मुख्यालय इ शहर अब खलिहा भोजपुर जिला के मुख्यालय रह गईल बा तबो आजुवो इ शाहाबाद क्षेत्र के केंद्र में बनल बा. इतिहास का बेर-बेर दोहरावल जाव तबो इतिहास में तनिकी सा झाँकल जरूरी बा. आरा शहर के…

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साहित्यिक चोरी : समस्या आ समाधान

हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफार्म प एगो ममिला बहुत चरचा में रहे, जहंवा भोजपुरी के एगो साहित्यकार आ गीतकार प चंचरीक जी के लिखल प्रसिद्द गीत ‘चरखवा चालू रहे’ कॉपी कर के बहुत मामूली हेर-फेर के संगे एगो पत्रिका आ इन्टरनेट प आपन नांव से छपवावे के आरोप लागल. आरोप-प्रत्यारोप के लमहर दौर चलल, फेर बाद में उ साहित्यकार महोदय के वेबसाइट एडिट करवा के आपन नांव हटावे के परल. एह सब के बीच एगो जवन सबसे दुखद बात रहल उ ई कि कई गो भोजपुरिये समाज के लोग…

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