दो पल अतीत के ( मेरा भी एक गाँव है) हरेराम त्रिपाठी ‘ चेतन ‘ के हिन्दी में सद्य प्रकाशित पुस्तक जब हाथे आइल त ई जान के खुशी भइल कि एह संस्मरणात्मक कथेतर गद्य के माध्यम से एगो विद्वान भोजपुरिया आ उनुकर गाँव के नजदीक से समझे बूझे के मिली।दू दिन में किताब एक लगातार पढ़ गइला के बाद ई देखे के मिलल कि किताब भले ई हिन्दी में बा बाकिर पन्ना – पन्ना में भोजपुरी के सुगंध बिखरल बा।ई किताब अगर भोजपुरी में रहित त भोजपुरी साहित्य खातिर…
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