नदी आ बेटी के सिरजन भगवान धरती के सुनरी सरूप बदे बनवलन। धरती पर मनई के बसे आ जीये बदे ई दुनो जन के अपना जीवन नेछावर करेके भेजलन। बेटी धरती पर मनई बसईली त नदी ओही मनई के जीवन दान दिहली ।खेती आ पानी के जुगाड़ के जिम्मा ई लिहली। ऐसही धरती फलत-फूलत आज एतना बड़ आपन संसार बना लिहली। खूब खूश होखे ई दुनो जन आपन एतना सुंदर सिरजन देख के। आज नदी बेकल बारी। उनका के सब लोग गंदा कर देत बा। उ आपन दुख केकरा से…
Read MoreTag: डॉ रजनी रंजन
भउजी
हमरा पूरा जवार में एके गो भउजी रहली । बिजे भउजी। गाँव में भउजी , चाची, दादी ई सबलोगन के उनकरा ‘भतार’ के नाम से ही बोलावल जाला। आ सब नाम के साथे ‘वा’ आ चाहे ‘ईया’ लगा के बोलला से अपना निअन जनावेलन लोग। भईया हमरा सब गोतिया के बड़ बेटा हउअन। गाँव में बड़ लोग उनका के बिजइया आ छोट लोग बिजे भईया आ बिजे चाचा कहेलन। बिजे भईया सगरी जवार के छोट लइकन के देखनहार रहलन। उहे सभ लइकन के पढाई लिखाई आ चाहे अउरो कवनो बात होय…
Read Moreहरिहरी काकी
भोरे भोरे फोन घरघड़ाइल त हरिहरी चाची कसमसात पलंग से उठ के ओकरे तरफ झटक के बड़बड़ात चलली- कवना के भोरे भोरे आग लागल बा।आजकाल ई फोनवो आदमी के जान पर बनहुक नियन गोली दागता।आरे आवतानी रे।तनी थिर हो रे बाबा।तोरा नियन हमरा में जान थोड़े भरल बा, जे हमहु घनघना के पहुंच जाइब। उमिर भइल। कहत कहत झटकले फोन उठवली- परनाम अम्मा! हम मनहरन। का भइल एतना भोरे भोरे तान कसले बाड़ऽ। आरे अम्मा! जरूरी बा।अबहीयें बम्बई जाये खातिर टरेन धरे के बा।एही से फोन कइनीहऽ। का भइल हो?…
Read Moreबरगद गाछ
बरगद गाछ के तरे बइठल शिवशंकर के आपन बाबूजी इयाद पड़ गइनी। बाबूजियो तऽ बरगदवे अइसन रहनी।केतना लोग के ऊपर आपन हाथ रखनीं। सगरी गाँव उनहीं जमीन पर राज करत बा। बाकिर हमरा पता ना रहे कि उ खोख बरगद रहन। जेकरा में दीमक नियन भीतरे भीतरे गोतिया दायाद आ बेटवन लोग बाँटत काटत छाँटत उनकर अंत करा देहलन। आदमी आ ई गाछ बिरिछ में इहे त फरक देखल जाला कि गाछ बिरिछ में आदमी लोगन से जादा धीरज आ सहनशक्ति होला। आदमी तऽ मायाजाल के फाँसल मनई।इचिको बात से…
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