उत्तर भारत के मध्यकालीन भक्ति आंदोलन के क्रांतिकारी संतकवि कबीर के जनम तिथि, जन्म स्थान, परिवार, भासा, मरन तिथि आदि के लेके बिद्वान लोग के एकमत नइखे। आ जदि कबीर अपने चाहे उनका समकालीन उनकर केहू भक्त नइखे लिखले त जनम तिथि, जनम स्थान, परिवार आ मरन तिथि के लेके ठोस सबूत जुटावल कठिन बा। अइसहूं पहिले सम्पन्न परिवार का लरिका के जनम पतरी ना बन पावत रहे। विरले केहू का घरे लरिका पैदा होखे त उपरोहित आके ओकर जनम पतरी बनावस। बहुत बूढ़ लोग के कहत सुनले बानी कि…
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ब्रजभूषण मिश्र आ उनकर रचना संसार
ब्रजभूषण मिश्र कवि, निबंधकार, संपादक, समीक्षक आ संगठनकर्ता होखे का पहिले साफ मन-मिजाज आ दिल-दिमाग के सोगहग मनई हउवें। साफ मन-मिजाज के मनई मतलब सभकरा हित आ चित के खेयाल राखेवाला। घरियो छन जे इनका से बोल बतिआ लेलस ओकरो के पीठ पीछे कहत सुनले बानी – ए जी, एह जुग-जबाना में मिसिर जिउवा अइसन सहज मनई मिलल मुश्किल बा। एकदम से ‘बारह भीतर एक समाना’। गोसाईं जी का सबदन में – सुरसरि सम सभकर हित होई। एही गुन-धरम वाला के बावा जी कहल जाला। इसे सब गुन-धरम त इनका…
Read Moreसंत कबीर के सगुनोपासना
संत कबीरदास के बारे ई आम राय बा कि ऊ उत्तर भारत में निरगुन भक्ति धारा के पहिल संतकवि हवें। बाकिर हमरा समझ से कबीरदास खाली निरगुनिए भक्ति धारा के संत नइखन। ऊ सुगुन भक्ति धारा के भक्तो बाड़न। बाकिर ओह तरह से ना जइसे सगुन भक्ति धारा के संतकवि तुलसीदास बाड़न। तबो जे अपना नाम के पाछे दास लगवले बा ओकर केहू ना केहू नाथ, साईं भा अराध्य होई। ऊ ओकर दास्य भाव से भक्ति जरूर करत होई। कबीरो दास करत रहलें। बाकिर ऊ हरसट्ठे सगुन साकार अवतार के…
Read Moreभोजपुरी भासा का मानकीकरन के बेवहारिक आधार
संसार का हर ग्यात भासा के दू खाना में राखल गइल। पहिला – एक केन्द्रीय भासा आ दोसर – बहु केन्द्रीय भासा। एक केन्द्रीय भासा के माने एक मानक रूप के भासा ; जइसे – रूसी, इतालवी, जापानी वगैरह। एह एक मानक रूप वाला भासा के अंगरेजी में मोनोसेंट्रिक लैंग्वेज ( Monocentric Language ) कहल जाला। बहु केन्द्रीय भासा के माने एक से अधिक मानक रूप वाला भासा ; जइसे – अरबी , फारसी , जर्मन , अंगरेजी वगैरह। एह बहु केन्द्रीय भासा के अंगरेजी में प्लूरिसेंट्रिक लैंग्वेज ( Pluricentric…
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