होई सगरो अंजोर हंसी घरे- घरे भोर कि जरावऽ दियना, भारत माता के मंदिरवा जरावऽ दियना । एगो दिया धर ऽअंगना में एगो दिया दलानी एक दिया घर के पिछवारे भुइंया परल पलानी नाहीं गोसयां गोहार ,नाहीं सूझे उजियार कि जरावऽ दियना, जहां जिनगी अन्हरवां जरावऽ दियना । एगो दीया गंग- जमुन के जेकर निर्मल पानी भरल परल जेकरा अंचरा में अनगिन अमर कहानी लेके असरा उजास पोंछे सब कर पियास की जरावऽ दियना, चलऽ ओही जलधरवा जरावऽ दियना । एक दिया ओ महतारी के जे शहीद जन्मावे बलिवेदी पर…
Read MoreTag: डॉ. कमलेश राय
मैना
कबले रहबू परल अलोंता बेर भइल अब छोड़ऽ खोंता सोझां तोहरा आसमान बा देखऽ आंखि उघारऽ मैना अब त पांखि पसारऽ मैना ! कबों सांझि कबहूं दुपहरिया कबों राति डेरवावे अचके खरकि जाय पतई त सुतबित सांस न आवे बहुत दिना अन्हियारा जियलू ना जाने केतना दुख सहलू सूरुज ठाढ़ दुवारे तोहरा बढ़िके नजर उतारऽ मैना ! केहू भोरावे दाना देके केहू जाल बिछावे केहू पांव में मुनरी डाले बेड़ी केहू लगावे पिंजरा के तूं नियति न मानऽ अबहूं अपना के पहिचानऽ गरे परल सोने क हंसुली ओके तोरि निकारऽ…
Read Moreगीत
बेसुरा कुछ लोग,लय क चासनी लेके खड़ा बा शब्द के फींचे सुखावे अरगनी लेके खड़ा बा/ रेलगाड़ी के सफर में दूर से सीवान देखे आंखि पर ऐना चढ़ा के झिरखिरी से चान देखे दिनकेउजियारे दिया भर चांदनी लेके खड़ा बा/ ककहरा भर पाठ पढ़िके रोज भासा ज्ञान बांटे राह जे चीन्हें न जाने राह क पहिचान बांटे आंखि ना दीदा ,समय क तरजनी लेके खड़ा बा/ पांव के नीचे न माटी माथ पर आकास ढोवे समय के रुख पर चले जे बहत गंगा हाथ धोवे ऊ भगीरथ क कठिन तप…
Read Moreरूस युक्रेन युद्ध
धरती अकास सब जरे लगल शोला बरसावल बन्द करऽ रोकऽ बिनास कऽ महायुद्ध अब आगि लगावल बन्द करऽ। अंखियन से लोहू टपक रहल बिलखे मानवता जार-जार हरियर फुलवारी दहक रहल धधकत बा मौसम खुशगवार अबहूं से आल्हर तितलिन कऽ तूं पांख जरावल बन्द करऽ । बनला में जेके बरिस लगल हो गइल निमिष में राख-राख भटकेलन बेबस बदहवास बेघर हो-होके लाख-लाख अबहीं कुछ जिनगी बांचल बा तूं जहर बुझावल बन्द करऽ। निकली न युद्ध से शांति पाठ ना हल होई कवनो सवाल धरती परती अस हो जाई भटकी ज़िनगी…
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