पार्टी विथ डिफरेंस

पार्टी विथ डिफरेंस हईं हम होखे जय-जयकार। हो बाबू !हाउस टैक्स उपहार।   तहरे माला हमै बनवलस पार्षद, मेयर आ विधायक । हमही लायक सांसद बानी टैक्स के चलाइब सायक।   चैन से रहि ना पइबा घरे नगर निगम के मार। हो बाबू !हाउस टैक्स उपहार।   पानी बिजुरी कूड़ा पूरा घर-घर हेरवाइब सर्वे कर । टैक्स क सोंटा चली दबा के कंहरे भा जीयें मर मर कर ।   जनता के राहत ना कउनों देखत अँखिया फार। हो बाबू !हाउस टैक्स उपहार।   चमचा फोरें घर-घर के आ बेलचा…

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का हो मुखिया !

घूमत रहलें गल्ली-गल्ली देखत कहवाँ ऊंच-खाल बा। पूछलें रामचरितर उनुसे का हो मुखिया ! का हाल बा।   कवन नवकी घोषना भइल कतना फंड बा आइल रउरा घरे मुखियाइन त रहनी खूबै धधाइल। हमनी के ना कुछौ मयस्सर रउरा धइले खूब ताल बा। का हो मुखिया ! का हाल बा।   पर शौचालय बन्हल कमीसन मनरेगा बा लमहर मीसन एह घरी चलत बा जमके पूजा घर के उद्धारी सीजन । देवी देवतन के कामो में रउरा छनत खूब माल बा। का हो मुखिया ! का हाल बा।   पानी के…

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नवके मनराखन के मनकही

का जमाना आ गयो भाया, लागत बा कि जयचंदन के फिरो दिन बहुरे लागल। अपना के फलाना भाषा के साहित्यकार कहवा के लुगरी आ लकड़ी बिटोरे में सरम ना लागे बाक़िर ओह भाषा पर अंगुरी उठावत बेरा अपना के बड़का भाषाविद बुझे लागल बा लोग। साँच के नकारे के फेरा में लोग कुछो लिखे- बोले लागत बा। लोग बुझत बा कि ई भषवा परती सरकारी जमीन ह, ओहपे कुछो करीं, धरीं, केहू कहे सुने वाला नइखे। केहू साँच बतावतो होखे त बतावत रहे, अपना कोरट के जज अपनही नु बानी,…

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तोल मोल के बोल

लेवरल पोतल ह उप्पर से भितरी बड़का झोल, फकीरा, तोल मोल के बोल, फकीरा।2।   लगल घून हौ धरम करम में नेह चटलेस दियका। लूह लागल हीत-नाता के सरम बिलाइल, डहका । इंटरनेट पर पीटत बबुआ परंपरा के ढोल, फकीरा , तोल मोल के बोल, फकीरा।2।   तूरत फ़ारत झंखत झारत आगि लगवलें घर घर । कवनो बात भइल बा इहवाँ बोलत बाटे टर टर । जेकरा खातिर छोड़ला सभके उहे खोलता पोल, फकीरा, तोल मोल के बोल, फकीरा।2।   के के फुकले बा पुवरउटी इरिखा में जरि जरि के।…

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फगुनहटे में

पिहिके कोइलिया तनिक अहटे में धसोर गइल पुरुवा फगुनहटे में॥   भउजी के कजरारी अँखियन क थिरकन ससरे लहर बनि सिहरे लागल तन मन विलमते रंगवो डलल सहते में । धसोर गइल—   सुध-बुध हेराइल मोजराइल अमवा एह घरी नीक लगे बदराइल घमवा ई देखS बुढ़वो रंगल रसते में। धसोर गइल—   हुलसे पवनवा गोटाइ गइल छिमिया पियराइल सरसो हरिया गइल निमिया सरम के चुनरिया उड़ल कसते में । धसोर गइल—   जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

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जयशंकर प्रसाद द्विवेदी के पहिल हिन्दी काव्य संकलन ‘सूत्रधार कौन’ के विमोचन भइल

विश्व पुस्तक मेला -2025 के 6 वे दिन भोजपुरी के प्रतिष्ठित कवि आ भोजपुरी साहित्य सरिता के संपादक जयशंकर प्रसाद द्विवेदी के पहिल हिन्दी काव्य संकलन ‘सूत्रधार कौन’ के विमोचन ‘सर्वभाषा ट्रस्ट  के स्टाल पर सम्पन्न भइल। लोकरपन समारोह में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के प्रधान संपादक  डॉ  अमिता दुबे,  प्रखर आलोचक ओम निश्चल ,  प्रभात पाण्डेय, आस्था सहित अनेक विद्वान लोग सिरकत कइलें। सर्वभाषा ट्रस्ट के संजोजक केशव मोहन पाण्डेय जी एह ला सभाके प्रति आभार जतवलें।

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नैना के तीरे

डूबि गइलें सजना सखी रे, कजरारे नैना के तीरे। नैना के तीरे हो, नैना के तीरे। डूबि गइलें सजना सखी रे, कजरारे नैना के तीरे।   अँकुरल मन में प्रीत क बिरवा, बेर बेर हियरा के चीरे। कजरारे नैना के तीरे।   तलफत जियरा पिय के खातिर , पीर बढ़ावत धीरे-धीरे। कजरारे नैना के तीरे।   विरह में माति बनल बउराहिन अब मन लागत ना कहीं रे । कजरारे नैना के तीरे।   पपिहा बनि पिउ के गोहराऊँ उहो जेपी क मीत नहीं रे। कजरारे नैना के तीरे।   डूबि…

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गाँव आ गोधन पूजा

असों सुजोग से देवारी पर हम गाँवे बानी। त ढेर कुछ भुलल–बिसरल मन परल।ओही में से एगो गोवर्धन पूजो बा। देवारी के एक दिन बाद भोजपुरिया समाज में गोवर्धन पूजा जवना के गोधना कहल जाला, बड़ सरधा का संगे मनावल जाला। आजु के गाँवन से सामुहिकता त बिला रहल बा, बाक़िर अबो ढेर कुछ बाचल बा। पहिले एक टोला में एगो गोधन बाबा बनावल जात रहलें आ पूजात रहलें। मय टोला के लइकी, मेहरारू लो जुटत रहे आ अपना-अपना भाई लोग सरापत रहे।अब कई जगह गोधन बने लागल बाड़न बाक़िर…

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अइसे कइसे

महटिया के सूतल जागी, अइसे कइसे। सभे बनत फिरे बितरागी, अइसे कइसे।   सोझे आके मीठ बोलवा सोरी में अब डाले मंठा। ओकरे फेरा घर बिलाई फिरो बजावत रहिहा घंटा। सूपा पीट दलिदर भागी, अइसे कइसे । सभे बनत—-   बेगर बुझले बिना ताल के ओही रागे अपनों गउला। सब कुछ तहरा राख़ हो गइल आग लगवलस समझ न पउला । उनुका खाति बनला बागी, अइसे कइसे । सभे बनत—-   हीत-मीत के बात न बुझला ओकरे रौ में मति मराइल । अपनन के घर बाहर कइला तहरा जरिको लाज…

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जय हो गाजियाबाद

एगो सांसद चार बिधायक मेयर संगे सै गो पार्षद सबके सब आबाद । जय हो गाजियाबाद।   नगर निगम के हाल न पूछा जी डी ए से  ताल न पूछा पूरे पूरा सहर के बबुआ जनता बा बेहाल न पूछा। कोसिस करत करत मरि जइबा होखी ना संवाद । जय हो गाजियाबाद।   कतो सड़क पर गटर क पानी स्वच्छता के क़हत कहानी बेगर मंगले कुछौ मिले ना अधिकारिन के हौ मनमानी। चिट्ठी प चिट्ठी भेजले जा सुने ना केहू नाद । जय हो गाजियाबाद।   सभके चारो ओरी घेरा…

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