बाबू आन्हर माई आन्हर हमै छोड़ सब भाई आन्हर के-के, के-के दिया देखाई बिजुली अस भउजाई आन्हर॥ हमरे घर क हाल न पूछा भूत प्रेत बैताल न पूछा जब से नेंय दियाइल तब से निकल रहल कंकाल न पूँछा ओझा सोखा मुल्ला पीर केकर-केकर देईं नजीर जंतर-मन्तर टोना-टोटका पूजा पाठ दवाई आन्हर॥ जे आवै ते लूटै खाय परचल घोड़ भुसवले जाय हँस-हँस बोलै ठोंकै पीठ सौ-सौ पाठ पढ़वले जाय केहू ओनइस केहू बीस जोरै हाथ निपोरै खीस रोज-रोज मुर्गा तोरत हौ कइसे कहीं बिलाई आन्हर॥ …
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