उरुआ के लभ मैरेज

एक बेरी के बात ह कि कैलाश मानसरोवर के एगो हंस के बियाह भइल त ऊ अपना मेहरारू हंसिनी से कहलस कि चले के बिहार घूमे. हंसिनी पुछलस कि ओहिजा देखे जुगुत का बा? तब हंस कहलन कि जवने बा तवने देखल जाई! फेर कहलस कि ओहिजा हिमालय नियन पहाड़ त नइखे, बाकिर कैमूर पहाड़ी बा, रोहतासगढ़ के किला बा. गंगा नदी नइखे त का भइल, दुर्गावती आ करमनासा नदी बाड़ी सन. भगवान भोलेनाथ नइखन त का भइल, उनके रूप गुप्तेश्वर नाथ के गुप्ताधाम बा. हंसिनी खुश हो गइली आ…

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