का जमाना आ गयो भाया,इहवाँ त बेगार नीति आ बाउर नियत वाला लो सबहरे ‘अँधेर नगरी’ का ओर धकियावे खातिर बेकल बुझात बा। का घरे का दुअरे , का गाँवे का बहरे सभे कुछ ‘टका सेर’ बेंचे आ कीने क हाँक लगावे में प्रान-पन से जुट गइल बा। अइसन लोगन का पाछे गवें-गवें ढेर लोग घुरिया रहल बा। अपना सोवारथ का चलते ओह लोगन के सुर में आपन सुरो मिला रहल बा। मने ‘मिले सुर मेरा- तुम्हारा’ क धुन खूब बज रहल बा। अउर त अउर धुन उहो लो टेर…
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