कहानी का सुनायीं

गांव के परिवेश के कहानी का सुनायीं

सभे बा मतलबी केकरा के समझायीं

घर के पड़ोसिया लगावे दरहीं कूड़ा

कहले पे हमके दिखावे लमहर हुरा

धमकी त देत बा कईसे समझायीं

गांव के परिवेश के……।

 

संस्कार घर-घर के स्वाहा भईल जाला

ईर्ष्या के आग में सबे जरते देखाला

सुनि के अनसुनी करे माने नाहीं बतिया

अंखिया में धूल झोके संझिये के रतिया

अइसने मतलबियन के कईसे समझायीं

गांव के परिवेश के……..।

 

ऐश आ फिजूल में करेला सभे खरचा

मुहवा से कब्भो नाहीं धरम के चरचा

मतलब परेला त सब घरे-घरे जाला

कमवा निकलते उ आंखी ना देखाला

सबके देखाला हरदम अपने भलाई

गांव के परिवेश के…….।

 

बांधेला सब गांव के गली में गोरू बरधा

खोलि के बहावे सब खोरी-खोरी नरदा

गलियन में कब्जा सगरौ कहां ले रेंगायी

सब चाहत बाटे अपने दरद के दवाई

अब चईत के महीना कईसे बहरे सुतायी

 

गांव के परिवेश के…….!

 

गांव के परिवेश के कहानी का सुनायीं

सभे बा मतलबी केकरा के समझायीं

 

  •  मनकामना शुक्ल ‘पथिक’

सोनभद्र, उत्तर प्रदेश।

 

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