फगुनहटे में

पिहिके कोइलिया तनिक अहटे में धसोर गइल पुरुवा फगुनहटे में॥   भउजी के कजरारी अँखियन क थिरकन ससरे लहर बनि सिहरे लागल तन मन विलमते रंगवो डलल सहते में । धसोर गइल—   सुध-बुध हेराइल मोजराइल अमवा एह घरी नीक लगे बदराइल घमवा ई देखS बुढ़वो रंगल रसते में। धसोर गइल—   हुलसे पवनवा गोटाइ गइल छिमिया पियराइल सरसो हरिया गइल निमिया सरम के चुनरिया उड़ल कसते में । धसोर गइल—   जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

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एगो मनसायन

[नमन भर से काम ना चली।पढ़ीं -जानीं -सोचीं सभे अपने पुरखन के बारे में] भोजपुरी कवि विचित्र जी ,मुँहदुब्बर जी आ मुखिया जी के इयाद करत ~~~~~~~~□□~~~~~~~~~~~~~ भोजपुरी के स्वनामधन्य कवि स्व.कुबेर मिश्र ‘विचित्र ‘ जी आ राघवशरण मिश्र ‘मुँहदुब्बर’ जी ओह बेरा भोजपुरी कवि- मंचन के जान-परान रहनीं।मुँहदुब्बर जी आ विचित्र जी ई दूनू जने जब एक मंच पर जुट जाईं तब फेर पूछहीं के का रहे! हमरा इयाद बा छपरा नगरपालिका मैदान में ‘तुलसी पर्व’ के आयोजन में हिन्दी के लब्धप्रतिष्ठ कवि आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री जी आ केदारनाथ…

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संगीत रागी जी के काव्य संग्रह ‘मुझे तुमसे कोई गिला नहीं’ के लोकार्पण सम्पन्न भइल

विश्व पुस्तक मेला – 2025 में 8 फरवरी के संगीत रागी जी के काव्य संग्रह ‘मुझे तुमसे कोई गिला नहीं’ के लोकार्पण सम्पन्न भइल ।  एह समारोह में संगीत रागी, अखिलेन्द्र मिश्रा, ओम निश्चल, चंद्र प्रकाश द्विवेदी ,केशव मोहन पाण्डेय , लक्ष्मी शंकर वाजपेई आ जयशंकर प्रसाद द्विवेदी सिरकत कइलें।

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जयशंकर प्रसाद द्विवेदी के पहिल हिन्दी काव्य संकलन ‘सूत्रधार कौन’ के विमोचन भइल

विश्व पुस्तक मेला -2025 के 6 वे दिन भोजपुरी के प्रतिष्ठित कवि आ भोजपुरी साहित्य सरिता के संपादक जयशंकर प्रसाद द्विवेदी के पहिल हिन्दी काव्य संकलन ‘सूत्रधार कौन’ के विमोचन ‘सर्वभाषा ट्रस्ट  के स्टाल पर सम्पन्न भइल। लोकरपन समारोह में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के प्रधान संपादक  डॉ  अमिता दुबे,  प्रखर आलोचक ओम निश्चल ,  प्रभात पाण्डेय, आस्था सहित अनेक विद्वान लोग सिरकत कइलें। सर्वभाषा ट्रस्ट के संजोजक केशव मोहन पाण्डेय जी एह ला सभाके प्रति आभार जतवलें।

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भोजपुरी कविता के राह में युवा कवि गुलरेज के ‘धाह’

भोजपुरी के युवा पीढ़ी के कविता में ताजगी त बड़ले बा बाकिर ओमें जवन उबाल आ आक्रोश के अभिव्यक्ति बा ओकरो में तल्खी ले जादे तथ्य आ समझदारी के प्रधानता बा।ई पीढ़ीअपना असंतोष,खीस आ नाराजगी के अपना संघर्ष,प्रतिरोध आ तर्कपूर्ण अभिव्यक्ति के जरिए मुखर करे के जानेले।गुलरेज शहजाद एह पीढ़ी के एगो महत्वपूर्ण हस्ताक्षर बाड़न। भोजपुरी कविता के दूनू रूप- प्रबंध आ मुक्तक काव्य में अपना प्रतिभा के लोहा मनवा देबेवाला कवि आज मौजूद बाड़ें।एह पीढ़ी में सुशांत कुमार शर्मा जइसन प्रबंध काव्य के रचयिता कवि अगर बाड़ें त अक्षय…

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भोजपुरी समीक्षा के संकट

भोजपुरी के साहित्यिक इतिहास मोटामोटी डेढ़ सौ साल के पूरा होखे जा रहल बा. एह में सब विधा के रचना भइल, बाकिर समीक्षा के लेके कुछ विचार हमरा सामने उठ रहल बा. किताबन के समीक्षा के नांव पर ओकर परिचय लिखे आ छापे के काम भोजपुरी आ हिंदी के अखबारन के संगे-संगे पत्रिकन में भी लगभग आठ-दस दशक से चल रहल बा. बाकिर भोजपुरी में समीक्षा के विधात्मक स्वरुप अबे साफ नइखे भइल. समीक्षा आ आलोचना के एके मान के चलल ठीक नइखे. दुनो के भेद जानल जरुरी बा. किताबन…

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नैना के तीरे

डूबि गइलें सजना सखी रे, कजरारे नैना के तीरे। नैना के तीरे हो, नैना के तीरे। डूबि गइलें सजना सखी रे, कजरारे नैना के तीरे।   अँकुरल मन में प्रीत क बिरवा, बेर बेर हियरा के चीरे। कजरारे नैना के तीरे।   तलफत जियरा पिय के खातिर , पीर बढ़ावत धीरे-धीरे। कजरारे नैना के तीरे।   विरह में माति बनल बउराहिन अब मन लागत ना कहीं रे । कजरारे नैना के तीरे।   पपिहा बनि पिउ के गोहराऊँ उहो जेपी क मीत नहीं रे। कजरारे नैना के तीरे।   डूबि…

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गाँव आ गोधन पूजा

असों सुजोग से देवारी पर हम गाँवे बानी। त ढेर कुछ भुलल–बिसरल मन परल।ओही में से एगो गोवर्धन पूजो बा। देवारी के एक दिन बाद भोजपुरिया समाज में गोवर्धन पूजा जवना के गोधना कहल जाला, बड़ सरधा का संगे मनावल जाला। आजु के गाँवन से सामुहिकता त बिला रहल बा, बाक़िर अबो ढेर कुछ बाचल बा। पहिले एक टोला में एगो गोधन बाबा बनावल जात रहलें आ पूजात रहलें। मय टोला के लइकी, मेहरारू लो जुटत रहे आ अपना-अपना भाई लोग सरापत रहे।अब कई जगह गोधन बने लागल बाड़न बाक़िर…

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अइसे कइसे

महटिया के सूतल जागी, अइसे कइसे। सभे बनत फिरे बितरागी, अइसे कइसे।   सोझे आके मीठ बोलवा सोरी में अब डाले मंठा। ओकरे फेरा घर बिलाई फिरो बजावत रहिहा घंटा। सूपा पीट दलिदर भागी, अइसे कइसे । सभे बनत—-   बेगर बुझले बिना ताल के ओही रागे अपनों गउला। सब कुछ तहरा राख़ हो गइल आग लगवलस समझ न पउला । उनुका खाति बनला बागी, अइसे कइसे । सभे बनत—-   हीत-मीत के बात न बुझला ओकरे रौ में मति मराइल । अपनन के घर बाहर कइला तहरा जरिको लाज…

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अब त नींन से जागा राजा

हर कुर्सी बेईमान भेटालन अपने मन क बज ता बाजा हे सेवक परधान देश क अब त नींन से जागा राजा।   तहसील कचहरी थाना चउकी मागैं रुपिया भर भर भऊकी ना देहले पर काम ना होला बेतन थोरिका अउर बढ़ा दा। अब त नींन से जागा राजा।   पन सउआ क बात करैंन देहला पर भी घात करैंन लेखपाल जब मारैं मन्तर पल में नम्बर होखै बंजर जीयते माछी घोट घोट के छूट रहल हव बचलो आशा। अब त नींन से जागा राजा।   स्कूली क हीन दसा हव…

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