भोजपुरी साहित्यकार सम्मानित

22 जून, 2025, गाजियाबाद, विश्व भोजपुरी सम्मेलन, गाजियाबाद इकाई द्वारा विचार संगोष्ठी आ सम्मान समारोह के आयोजन गणपति फार्म हाउस, अवंतिका II, गाजियाबाद में सम्पन्न भइल। भोजपुरी के तीन दशक से गद्य लेखन में एगो स्थापित नाम अंकुश्री जी इहाँ मुख्य अतिथि रही आ वशिष्ठ अतिथि डॉ.मधुलिका बेन पटेल रहीं। एह कार्यक्रम के दौरान अंकुश्री जी के संस्था द्वारा “भोजपुरी भाष्कर सम्मान” आ भोजपुरी काव्य लेखन खातिर डॉ.मधुलिका बेन पटेल के “भोजपुरी सौरभ सम्मान” प्रदान कइल गइल। अंकुश्री साहित्यिक यात्रा पर विचार रखत भोजपुरी जन जागरण के अध्यक्ष आ कवि…

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पार्टी विथ डिफरेंस

पार्टी विथ डिफरेंस हईं हम होखे जय-जयकार। हो बाबू !हाउस टैक्स उपहार।   तहरे माला हमै बनवलस पार्षद, मेयर आ विधायक । हमही लायक सांसद बानी टैक्स के चलाइब सायक।   चैन से रहि ना पइबा घरे नगर निगम के मार। हो बाबू !हाउस टैक्स उपहार।   पानी बिजुरी कूड़ा पूरा घर-घर हेरवाइब सर्वे कर । टैक्स क सोंटा चली दबा के कंहरे भा जीयें मर मर कर ।   जनता के राहत ना कउनों देखत अँखिया फार। हो बाबू !हाउस टैक्स उपहार।   चमचा फोरें घर-घर के आ बेलचा…

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सवाल आ सपना

सवाल अपना जगे खड़ा रहेला खड़ा रही जे भागेला सवाल से सवाल ओकर पीछा परछाईं जस करेला काहे कि सवाल आपने उपराजन होला सामने बस ठाढ़ करेला कबो केहू त कबो केहू। [2] सवाल से भागे वाला के ना बुझाला कि ऊ जिनिगी से भाग रहल बा आ ढो रहल बा लाश बस अपने जिनिगी के। [3] सवाल दोसरा के पूछे के मौके ना मिले जब कवनों आदिमी अपना बारे में अपने से पूछ लेला सवाल । [4] सवाल कबो ना मरे ऊ पीछा करत जीयल मुहाल कर देला सवाल…

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भोजपुरी भाषा के मानकीकरण’, ‘ओकर शब्दन के एकरूपता’

‘भोजपुरी भाषा के प्रमाणिक रूप’, ‘भोजपुरी भाषा के एकरंगी रूप’, भोजपुरी भाषा के मानकीकरण के आवश्यकता’ जइसन विषय पर समय समय पर विद्वावनन के विचार आइल। भोजपुरी के मानक रूप के तैयार करे के प्रयास लगातार चल रहल बा। कहे के ना होई कि भोजपुरी साहित्य के सृजन सिद्व आ नाथ पंथ, कबीर पंथी, भगताही आ सरभंग सम्प्रदाय के संत भक्त कवियन के ‘बानी’ से शुरू भइल। बाकिर साहित्यिक रूप में भोजपुरी भाषा के निर्माण पिछला 100 साल से हो रहल बा। जब भोजपुरी साहित्य के निर्माण शुरू भइल तब…

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का हो मुखिया !

घूमत रहलें गल्ली-गल्ली देखत कहवाँ ऊंच-खाल बा। पूछलें रामचरितर उनुसे का हो मुखिया ! का हाल बा।   कवन नवकी घोषना भइल कतना फंड बा आइल रउरा घरे मुखियाइन त रहनी खूबै धधाइल। हमनी के ना कुछौ मयस्सर रउरा धइले खूब ताल बा। का हो मुखिया ! का हाल बा।   पर शौचालय बन्हल कमीसन मनरेगा बा लमहर मीसन एह घरी चलत बा जमके पूजा घर के उद्धारी सीजन । देवी देवतन के कामो में रउरा छनत खूब माल बा। का हो मुखिया ! का हाल बा।   पानी के…

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नवके मनराखन के मनकही

का जमाना आ गयो भाया, लागत बा कि जयचंदन के फिरो दिन बहुरे लागल। अपना के फलाना भाषा के साहित्यकार कहवा के लुगरी आ लकड़ी बिटोरे में सरम ना लागे बाक़िर ओह भाषा पर अंगुरी उठावत बेरा अपना के बड़का भाषाविद बुझे लागल बा लोग। साँच के नकारे के फेरा में लोग कुछो लिखे- बोले लागत बा। लोग बुझत बा कि ई भषवा परती सरकारी जमीन ह, ओहपे कुछो करीं, धरीं, केहू कहे सुने वाला नइखे। केहू साँच बतावतो होखे त बतावत रहे, अपना कोरट के जज अपनही नु बानी,…

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‘कउने नरेसवा क देसवा उजरि गइले…’

आजु रामजियावन दास ‘बावला’ जी के जयंती हऽ। ‘बावला’ जी, लोकमन के कवि रहलें। कुछ विद्वान लोग उहाँ के ‘भोजपुरी के तुलसीदास’ कहले बा। बाकिर हम उहाँ के तुलना कवनो दोसर कवि से ना करऽब। ‘बावला’ जी के कवनो प्रतिमान नइखे हो सकऽत। कवनो पैमाना भा कसउटी पऽ उहाँ के नइखे तउलऽल जा सकऽत। काहें कि उनका जइसन केहु भइले नइखे। उहाँ के तुलना, उहाँ से ही हो सकऽता। ‘बावला’ जी से पहिला भेंट हमके इयाद बा। पर, पहिलका छवि हमरे मन में कइसन अंकित भइल? सहजमना। सोझ। गँवई औदार्य…

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तोल मोल के बोल

लेवरल पोतल ह उप्पर से भितरी बड़का झोल, फकीरा, तोल मोल के बोल, फकीरा।2।   लगल घून हौ धरम करम में नेह चटलेस दियका। लूह लागल हीत-नाता के सरम बिलाइल, डहका । इंटरनेट पर पीटत बबुआ परंपरा के ढोल, फकीरा , तोल मोल के बोल, फकीरा।2।   तूरत फ़ारत झंखत झारत आगि लगवलें घर घर । कवनो बात भइल बा इहवाँ बोलत बाटे टर टर । जेकरा खातिर छोड़ला सभके उहे खोलता पोल, फकीरा, तोल मोल के बोल, फकीरा।2।   के के फुकले बा पुवरउटी इरिखा में जरि जरि के।…

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नातिदीर्घ हास-परिहास -भड़ाँस मूलक निबंध

[पढ़े के पहिले निहोरा-भोजपुरी लोकचेतना के बानी हियऽ।सामूहिक चेतना के ।इहाँ कवनों प्रवृत्ति के उभरत- पसरत देर ना लागे।इहाँ जवन होला भा लउकेला ऊ सामूहिक चेतने से निकसिये के कहीं पइसारो पावेला।एह से एह आलेख के ओही नजरिया से पढ़ल जाये के चाहीं।तबे आनंद मिली।कवनों बात के अपने पर लोकल ओतने बेजाँय हऽ जेतना अपना खुशामद पर अगरा के आसमान छूये खातिर उछले लागल।] हमनीं से जिन अझुरइहें हबकि लिहब ~~~~~~~~~~~○○~~~~~~~~~~ भोजपुरी में एगो त पढ़ के लिखे वाला मनइये कम बाड़न आ जिन बड़लो बाड़न ऊ अपना के केहू…

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फगुनहटे में

पिहिके कोइलिया तनिक अहटे में धसोर गइल पुरुवा फगुनहटे में॥   भउजी के कजरारी अँखियन क थिरकन ससरे लहर बनि सिहरे लागल तन मन विलमते रंगवो डलल सहते में । धसोर गइल—   सुध-बुध हेराइल मोजराइल अमवा एह घरी नीक लगे बदराइल घमवा ई देखS बुढ़वो रंगल रसते में। धसोर गइल—   हुलसे पवनवा गोटाइ गइल छिमिया पियराइल सरसो हरिया गइल निमिया सरम के चुनरिया उड़ल कसते में । धसोर गइल—   जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

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