घरे-घर खुशियां मनाव,दीया खुशी के जलाव घरे-घर खुशियां मनाव, बात अब ई फइलाव धरा बचावे खातिर बबुआ,अब त तू आगे आव अब ना छोड़ बम पटाखा, कीरिया आज उठाव दुखियन के गले लगाव… दीया खुशी के जलाव घरे-घर खुशियां मनाव………. ना खाएब ,मेवा मिठाई, ना खाएब बाजार के आपन घरे बनाएब आज,रोकब भ्रष्टाचार के बिजली के खूब बचाव… दीया खुशी के जलाव घरे-घर खुशियां मनाव……….. दीन दुखी गरीब के साथे, बाटंम खुशियां दू चार जेतना संभव होई भइया, देहब हम लार दुलार बूढवन के गले लगाव… दीया खुशी के जलाव…
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गंगा महिमा
गंगा के महिमा दुनिया में, सबसे बड़ा अनमोल हगंगा में जे डूबकी लगावे,पाप ओकर सब गोल हगंगा के महिमा…….. मोक्ष देवे के खातिर गंगा, लेले बारी अवतारपर परदूषण से दुखी बारी, देख तनी विचारअमरित जस गंगा जल में,कचरा के मिलत घोल हगंगा के महिमा…….. धरती पर जब अइली मईया,मोक्ष के खुलल दुआरभागिरथ के सब पुरखन के, तब रहे भइल उद्धारगंगा के जे मईया ना बुझे, बुझ उ बकलोल हगंगा के महिमा…….. रीति रिवाज के नाम पे गंगा, मैली हो गइल बारीआज बाट जोहत बारी लाल के,आके हमके संवारीभागिरथ फेर से आव धरा पर,मईया…
Read Moreलोक संस्कृति के अजब नजीर – जबरी पहुना भइल जिनगी
भोजपुरी भाषा आज देश दुनिया में आपन परचम लहरावे मे काफी आगे बा। एह करी में रोज नया-नया लेखक लोग के कविता आ कहानी के संकलन खूब बाजार में पाठक खातिर आवता। हाल फिलहाल में भोजपुरी के लेखक मंच पर एगो नया नाम उभरल ह जोकर नाम ह- जे.पी. दिवेदी। दिवेदी जी के ई खासियत बा कि उहां के ठेठ भोजपुरी में ही कविता आ कहानी लिखेनी।इनकर पिछला साल एगो कवित संगरह पीपर के पतई आइल रहे ओकरा बाद एह साल के शुरु में आइल ह- जबरी पहुना भइल जिनगी।ई…
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