एगो पौराणिक उपन्यास ‘तारक’

            सद्य प्रकाशित आदरणीय अग्रज ‘मार्कन्डेय शारदेय’ जी के पौराणिक उपन्यास सर्वभाषा प्रकाशन से भोजपुरी साहित्य जगत के सोझा आइल ह। ई कृति शारदेय जी के जीवंत लेखनी से प्रत्याभूत त बड़ले बा, संगही उहाँ के एह कृति के भोजपुरी के पुरोधा पाण्डेय कपिल जी के समर्पित कइले बानी। जब कवनों पौराणिक कथा कहानी के उपन्यास विधा में पिरोवल जाला, त उ सोभाविक विस्तार लेत कबों यथार्थ के धरातल आ कबों काल्पनिक धरातल पर समभाव से आगु बढ़त देखाला। एह घरी के हिन्दू समाज के सभेले कमजोर नस मने ‘अपने…

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भोजपुरी भाषा आ साहित्य : एक नजर

जवना माध्यम से अपना विचार के लेन-देन होला, उहे भाषा ह। भारत में पैशाची,संस्कृत , पाली, प्राकृत आ अपभ्रंश के संगे-संगे चलत भोजपुरी हजारन बरिस पुरान भासा हS। प्राकृत आ अपभ्रंश से 12 वीं सदी आवत-आवत असमिया,बंगला,उड़िया, मैथिली,मगही,आ भोजपुरी के अलगा-अलगा रूप निखरल। – उनइसवीं सदी का अंतिम चरन में भाषा के भोजपुरी नाँव मिलल। – 1789 ई0 में काशी के राजा चेत सिंह के सिपाहियन के बोली के भोजपुरी  नाँव से उल्लेख भइल बाटे। – सन् 1868 ई0 में जान बीम्स आपन एगो लेख ‘रायल एसियाटिक  सोसाइटी’ में पढ़ले…

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