गीत

जानके केहू आहत कईल जान के तान के तनके तनके नयन बान के   केस छितरावत घेरत गगन में घटा फूल अस कोमल अंगन के अजबे छटा फूल उपमण्डल चेहरा  लगे चान के   नाम ओठन पर आंखिन में सूरत बसल आस तूरत ना  पूरत जरूरत असल ओही मूरत के देवी जपी मान के   घाव उसुका के  मुसुका के मारत रहे प्रान ओही के पल पल पुकारत रहे चैन जारत उजारत जे  असमान के   लोक रीति के कवन बात संजोग के खुस बा सोमेश लेके कठिन रोग के…

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बिजुरिया हाय पड़ल बदरा का पाले

विधना का लिखना पर जरि जरि बुताले। बिजुरिया हाय पड़ल बदरा का पाले..   बिचरत चरिवातन पर दूर दूर रोले आवत छावत अन्हार अकड़ि अकड़ि बोले लखि के कुलबोरन के लोरन नहाले बिजुरिया हाय पड़ल बदरा का पाले..   असमय अरियात रहनि समझ में न आवे उमरत बेढंग बान घेरी के चलावे घाव घोर मनवा के तनवा के शाले बिजुरिया हाय पड़ल बदरा का पाले..   करकत दरकत करेज आसमान फाटे छूटत चिनगी जिनगी रहि रहि दिन काटे चमके दमके सोमेश लमके नहाले। बिजुरिया हाय पड़ल बदरा का पाले..  …

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