गोरखनाथ: धीरे धरिबा पाँव

अठवीं से लेके बरहवीं शताब्दी ले चौरासी सिद्ध लोग  अपभ्रंश में कविता करत रहे ।सिद्ध लोगन के कविता में भोजपुरी शब्द आ क्रिया रूप मिलल शुरू हो गईल रहे। चौरासी सिद्धन में सबसे प्रसिद्ध रहलें सरहपा । उन कर एगो कविता देखल जां –नगर बाहर रे डोंबि तोहारि कुडिया/छोड़- छोड़ जाई सो बाभन नाड़िया /आलो डोंबि तो सम करबि मो संग /जाम मरण भाव कइसन होई/जीवन्ते भले नाहि विसेस ।‘  एमे  ‘छोड़ि छोड़ि जाई’ आ ‘कइसन होई’  भोजपुरी प्रयोग हवे ।सिद्ध लोगन के कविता में  एह तरे के बहुत उदाहरण…

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