वासकसज्जा

हुलस अंगना नूतन नेह, पसरल गेह खनक कंगना।   गदगद गात सुहावन सिहरन उमगल चाल अपार पुलक मन आपन आन, एक समान हरख नयना।   चान लुटावत जोती निरमल निरखत नखत गगन से अविकल मुखड़ा गोर, नित चितचोर रटत रटना।   दीप जरा चितवे अपलक पथ मिलन आस पिय के सुधि में रत आहट जानि, घूंघट तानि निरख सजना।   संगीत सुभाष, प्रधान सम्पादक- “सिरिजन”, भोजपुरी पत्रिका।

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