पान थूक के

पढ़े लिखे में जी ना लागे बनि के घुमत हवा नमुन्ना पिता जी पूछलन पूत से अपने रगड़त खैनी संगे चुन्ना।   तब बबुली झार अदा से अगबै पान थूक के बोलस मुन्ना सुना हे बाऊ नेता बनबै कइ देब दऊलत पल में दुन्ना।   का घबड़ाला झूठमूठ क अँगुरी पर बस दिनवा गीन्ना लड़ब बिधइकी जल्दी हनहुँ फिर बुझबा हम हई नगिन्ना।   जिला जवारी जानी हमके निक निक लोगवा छोड़ि पसिन्ना तोहरो नाम ऊँचाई छुई नाची सब डेहरी पर धिन्ना।   खड़ा सफारी दुअरे होई मनी महोत्सव साथ…

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जुठार मोरा कजरा बोला का पउला

बदरा के फेर पिया काहे मोहइला जुठार मोरा कजरा बोला का पउला।   बिंदिया देखत रहे तोहरा नदानी झुमका गवाही देही बात मानी चनवो से बलमू ना जेरिको लजइला जुठार मोरा कजरा बोला का पउला।   होठवा के लाली सुघर सकुचायल घायल पैजनिया हो सहमल बा पायल चुड़िया के खनखन से अईसन लोभइला जुठार मोरा कजरा बोला का पउला।   मेंहदी महावर करैं न ठिठोली मधुरी बचनिया से बोलैं न बोली घुघटा बनी ढीठ कइसे उठइला जुठार मोरा कजरा बोला का पउला।   केशिया के खुशबू करी शोर जॉनी केकर…

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सुहराई रवै रव

सुहराई रवै रव बकोट ता कोई खड़ा दूर से भी कचोट ता कोई।   अजादी सबै क नकोट ता कोई गुदगुद्दी बराय धइ लूट ता कोई।   हिया में बईठ के भकोट ता कोई निवाला उड़ाई सरबोट ता कोई।   जगह पाई जरिका तरोट ता कोई लगाई के आसन सघोट ता कोई।   छुआई के अँगुरी दरेट ता कोई उचारी के देहियाँ चमोट ता कोई।   एकै बात हर बार फेट ता कोई सिंघासन बदे भाय लोट ता कोई।   पारी पारा आई घघोट ता कोई पलत्थी जमाई के घोट…

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जे देहलस उ पइलस का

घास क रोटी कोइ बतावै फिर कउनो राजा खइलस का हम कुरबानी काहे देहीं जे देहलस उ पइलस का।   महल बनउलस शिला तोड़ जे अपन नाम लिखइलस का कउनो कोने खोज बतावा उ अपनो कुटी बनइलस का।   सार गला संसार रचयिता जाना इहा कमइलस का मजदूर बोल जग हँसी उड़ावै कोइ हाँथ कपारे धइलस का।   चीर धरा जे अन्न उगावस आपन पीर सुनइलस का भात महीनका जे चभकै उ पूछा स्वेद बहइलस का।   चान छुए में बाउर जन बसुधा क साध पुरइलस का सूरज भेटै सबै…

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