चिरईं फेर से चहकी

पुरवा फेर से बहकी।   हर पत्ता पियराइल बा कतहूं गंध हेराइल बा टेढ़ परीक्षा आइल बा   फूलवा फेर से महकी।   अबहीं रात के डेरा बा सब समय के फेरा बा धीरज धरे के बेरा बा   चिरईं फेर से चहकी।   डॉ हरेश्वर राय सतना, मध्य प्रदेश

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जमुऑंव के संत निराला बाबा

जमुऑंव गाँव (थाना- पीरो, जिला- भोजपुर) के लोग बहुते धारमिक  सोभाव के ह। जब से हम होस सम्हरले बानी तबे से देखतानी कि एह गाँव में पूजा-पाठ, हरकीरतन आ जग उग के आयोजन लगातार होत आ रहल बा। एह गाँव में साधुजी लोगन के बड़ा बढ़िऑं जमावड़ा भी होखत रहेला। मंदिर आ देवस्थानन से त गाँव भरल परल बा। कालीमाई, बड़की मठिया, छोटकी मठिया, संकरजी, जगसाला, सुरुज मंदिर, सतीदाई, बर्हम बाबा, उमेदी बाबा, गोरेया बाबा, पहाड़ी बाबा–। बात 1975 – 76 के आसपास के होई। बड़का पोखरा से पचीस-तीस डेग…

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देंह फागुन महीना हमार भइल बा

जहिए से नैना दु से चार भइल बा, इंतजार में मजा बेसुमार भइल बा I   पह फाटल हिया में अंजोर हो गइल, पाँख में जोस के भरमार भइल बा I   जाल बंधन के तहस नहस हो गइल, संउसे धरती आ अम्बर भइल बा I   पूस के दिन बीतल बसंत आ गइल, देंह फागुन महीना हमार भइल बा I   महुआ फुलाइल आम मोजरा गइल, हमरा दिल में नसा बरियार भइल बा I   डॉ. हरेश्वर राय, सतना, मध्य प्रदेश  

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