कहल-सुनल माफ़ करिहा

बंगड़ परेसान हो-हो खटपटिया गुरु के मकान क चक्कर काटत रहलन। कब्बो गेट के लग्गे जाके भित्तर झाँके क कोसिस करें कब्बो खिड़की के बंद पल्ला पर कान रोपें बाकिर कवनों आवाज़-आहट ना। दू तल्ला क बड़-बरियार मकान अइसन सून-सपाट रहे कि लगे बरिसन क उजाड़ ओम्मे वास ले लिहले ह। मानुस त मानुस चिरई-चुरुंग भी ना देखायँ। दू दिन पहिले त अइसन सन्नाटा ना रहल। अब एकाएक कइसे अइसन हो गइल! हरान-परेसान बंगड़ मकान के बंद गेट पर मूड़ी टिकवले अबहीं सोचते रहलन कि आखिर का बात भइल, काहें…

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मंतोरना फुआ

बुचिया के छुट्टी ना मिलल एहि से मंतोरना फुआ के अकेले जाए के पड़ल।एसे पहिले जब कहीँ जायेके होखे त केहू न केहू उनके संगे रहे।एदा पारी फुआ एकदम अकेले रहलीं बाकी गांवें जाये क एतना खुसी रहे कि उनके तनिको चिंता न रहे। आराम से गोड़ फइलवले पूरा सीट छेंकले रहलीं। “दादी जरा साइड होइए…।” फुआ देखलीं एगो बीस-बाइस साल क लइका उनके सामने खड़ा ह। “ना ई हमार सीट ह।हई देखा टिकस…बुचिया कहले रहलीं कि जबले टेशन ना आई तबले सीट छोरीह जीन।” “हाँ,लेकिन बीच वाली बर्थ मेरी…

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पगलो आजी

ओह दिने गाँव के प्राथमिक इस्कूल में कवनों बरात रुकल रहल।खूब चहल-पहल रहल।हमहन के घर के समनवे वाला खेत में तम्बू गड़ल रहल अउर बराती लोगन क खूब स्वागत -सत्कार होत रहल।लाउडस्पीकर पर ‘हाँथे में मेहँदी , माँगे सेनुर , बरबाद कजरवा हो गइल हो…।’ बजत रहल।ओहर समियाना में जेतने किसिम क गाना बजे एहर घर में आजी ओतने किसिम क गारी तजबीज के बाबा के आवभगत में लगल रहलीं।हम ओह समय कक्षा तीन में पढ़त रहलीं। न त गाना क महातम समझ में आवे न त गारी क।बस एतना…

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पिनकू जोग धरिहन राज करीहन

बंगड़ गुरू अपने बंगड़ई खातिर मय टोला-मोहल्ला में बदनाम हउवन।किताब-ओताब क पढ़ाई से ओनकर साँप-छुछुनर वाला बैर ह।नान्हें से पढ़े में कम , बस्ता फेंक के कपार फोड़े में उनकर ढ़ेर मन लगे।बवाल बतियावे में केहू उनकर दांज ना मिला पावे।घर-परिवार अड़ोसी-पड़ोसी सब उनके समझा-बुझा,गरीयाय के थक गयल बाकिर ऊ बैल-बुद्दि क शुद्धि करे क कवनों उपाय ना कइलन।केहुतरे खींचतान के दसवीं ले पढ़लन बाकिर टोला- मुहल्ला के लइकन के अइसन ग्यान बाँटें कि लइका कुल ग्यान के ,दिमाग के चोरबक्सा में लुकवाय के धय आवें अउर तब्बे बहरे निकालें…

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लड़की बुटीफुल्ल कर गइल चुल्ल

बंगड़ गुरु के पड़ोस में एक जाना क बियाह रहल। लाउडस्पीकर पुरजोर लाउड रहल। सबेरहीं से एक्के गनवा कई बेर बजावल जात रहल, ’लड़की ब्यूटीफूल कर गयी चुल्ल…।’ सुनत -सुनत कपार दुखा गईल त बंगड़ खुनुस से फफात- उधियात पड़ोसी के घर में धावा बोललन। ’केकर काल आ गयल ह कि हेतना जोर -जोर से लउडस्पीकर बजावत ह …आंय ?’ क्रोधन बंगड़ काँपत रहलन। ’’सादी-बियाह क घर ह त गाना -बजाना ना होई का ?…तोहरे भाग में त इकुल सुख देखे के लिखले ना ह। दुआरे तिलकहरू चढ़बे ना करीहन…

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एक ठे बनारस इहो ह गुरु

‘का गुरु आज ई कुल चमचम ,दमदम काँहे खातिर हो ,केहू आवत ह का ‘? प्रश्न पूछने वाला दतुअन करता लगभग चार फुट ऊँची चारदीवारी पर बैठा आने -जाने वालों से पूछ रहा था। ”काहें मोदी आवत हउअन ,तोहके पता ना ह ?” पता ना ह ‘ ऐसे गुर्राते हुए बोला गया कि यदि पूछने वाला पहुँच में होता तो दो तीन लप्पड़ कही गए नहीं थे। पर पूछने वाला भी अजब ढीठ ,तुनक कर बोला -“जा जा ढेर गरमा मत….. .” कहता हुआ वह ‘ कोई नृप होहुँ हमहि…

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अट्ठारह ले बरिस जाई बदरा, मनवा हो तनी धीर धरा…

“ये गुरु !बड़ा न उमस ह हो।चुरकी क आग अब दिमाग ले चढ़ आइल ह ।जनात ह परान चल जाई ।” टप-टप चुयत पसेना पोछत चेला के मय गमछी भींज के बोथा हो गइल। ” अट्ठारह ले कुल ठीक हो जाई।परेशान मत होखा हो लाल।” मुस्कियात -पान चबात गुरु चेला के निसफिकिर रहे क सलाह दिहलन। “अबही आधा घंटा ले एहि गरमी में जाम में फंसल रहलीं ह गुरदेव।लागत रहल ह कि पियासन परान चल जाई।अबहिं चार महीना पहिलही सड़क बनवले रहलन ह सं।छन भर के टिपिर-टिपिर में कुल सिरमिट-गिट्टी धोआय…

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बउरहिया

” ए अम्मा जी उर्दी छुआए जात ह गांई जा लोग।” लइका क माई अम्मा लोगन के होस धरवलीं कि उ लोग काहें खातिर बोलावल गईल हईं जा।अम्मा लोग कढ़वलीं – ‘ जौं मैं जनतीं गनेस बाबा अइहन, लीपि डरतीं अंगना दुआर चनन छिड़कतीं ओही देव घरवा चनन क सुन्नर सुबास जौं मैं जनतीं सीतला मइया अइहन लीपि डरतीं अँगना दुआर।’ गीत कढ़ावे वाली बड़की आजी ढ़ेर बूढ़ा गइल रहलीं।चारे-पाँच लाइन गावे में हफरी छोड़े लगलीं।एक जानी क सांस फूले लागल अउर दम्मा के मरीज नियन खांसे लगलीं। “अरे काहें…

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भोजपुरी हमरे मन-प्रान में बसल हे

ऊ भारत के आपन मातृभूमि माने लीं अउर मॉरीशस के कर्मभूमि। अपने पुरखन के देस भारत से उनके एतना लगाव ह कि इँहा से वापिस मॉरीशस लवतट के बेरी अइसे आँख भरि-भरि हिरोहेलीं जइसे नइहर छोड़ के ससुरे जात होखं। मॉरीशस क सरनाम भोजपुरी गायिका हईं अउर अभिनय के क्षेत्र में भी उनके महारत हासिल ह।उछाह -उमंग से भरल -पूरल,उमिर के धकियावत -धकेलत, पीछे छोड़त ऊ भोजपुरिया समाज खातिर मिसाल हईं ,नाम ह हुसिला देवी रिसौल।इनके व्यक्तित्व क कई -कई गो पक्ष उजागर करे क एगो छोटहन परयास ह हुसिला…

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