पाती रचना मंच आ विश्व भोजपुरी सम्मेलन के अधिवेशन सम्पन्न

काल्ह दिनांक-16दिसम्बर2023के पाती रचना मंच आ विश्व भोजपुरी सम्मेलन के तत्वावधान में अधिवेशन सम्पन्न भइल जवना में ” पाती अक्षर सम्मान”, “भोजपुरी के बढत डेग” विषय पर विचार गोष्ठी आ काव्य गोष्ठी शामिल रहे। सर्व श्री दिनेश पाण्डेय ,शशि प्रेमदेव  आ शिवाजी पाण्डेय ‘रसराज’ जी के “पाती अक्षर सम्मान” से सम्मानित कइल गइल।  एकरा बाद “भोजपुरी के बढत डेग” विषय पर सर्व श्री प्रकाश उदय जी,प्रो0 सदानंद शाही, प्रो0 पी राज सिंह आदि द्वारा आपन – आपन विचार दिहल गइल। अल्पाहार के बाद कवि गोष्ठी सम्पन्न भइल जवना में डॉ…

Read More

गजल

बात जब बेबात के तब बात का? कटल जड़ तऽ भला बांची पात का?   ऊ मोटाइल बा रहस्ये ई अभी, का पता ऊ रहे छिपके खात का?   छली कपटी जब होई दुश्मन होई, मीत ऊ कइसे होई? हित-नात का?   कथ्थ आ करनी में जेकरा भेद बा, ठीक केवन वंश के भा जात का?   झूठ के महिमा रही दुइये घरी, एह से बेसी हो सकी औकात का?   अशोक कुमार तिवारी

Read More

गजल

ई बीमारी बड़का भारी। सनमुख डंणवत, पीछे गारी।।   काटे भीतर घात लगाके, राम राम ई कइसन यारी?   कवन भरोसा केन्ने काटी? जेहके भइल सुभाव दुधारी।   ढेला भर औकात न जेकर, ऊहो मुँह से लादे लारी।   छेड़के ओके नीक न कइलऽ, बहुत पड़ी तोहरा के भारी।   कबहूँ जे सोझा आ गइलऽ, सात पुश्त ले ऊहो तारी।   निकलल बाटे फन त काढ़ी? राखल बाटे लाठी – कारी।   अशोक कुमार तिवारी

Read More

गजल

पहिले रSहे सरल आ सहज आदमी आज नफरत से बाटे भराल आदमी ॥   गीत जिनगी के गावत – सुनावत रहे अब तs जिनगी के पीछे पर्ल आदमी ॥   आदमी जे रहित तs करित कुछ सही आदमी के जगह बा मरल आदमी  ॥   अपना वइभव के तिल भर खुसी ना भइल देख अनकर खुसी के जरल आदमी ॥   राण – बेवा भइल अब त इंसानियत माँग मे पाप कोइला दरल आदमी ॥   कब ले ढोइत वजन नीति के ज्ञान के फायदा जेने देखलस ढरल आदमी ॥…

Read More