गुलबिया हो

ना हमरा से नेह छोह ना रउरा से प्यार बा। फेरु गुलबिया हो, केकरा लग्गे सरकार बा।   बुद्धू बकसवा में बइठ टर्राने केकरा खातिर पूछेलें फलाने केकरा साथ संगत के उनुका दरकार बा। गुलबिया हो……   केकरे ओठवा के नमी झुराइल बाति के सुनगुन से के बउराइल केहो छान-पगहा लिहले करत गोहार बा । गुलबिया हो……   अचके में आजु मार पड़ल अइसे करके भितरघउवा सुसुकीं कइसे अइसन दरद जवन कहलो बेकार बा। गुलबिया हो……   जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

Read More

ईयाद आवे गउवाँ

शहर सपना अस, ईयाद आवे गउवाँ खेत, खरिहान अउर पीपर के छउवाँ ईयाद आवे गउवाँ॥   संगही ईयाद आवे,  ईया के बतिया लइकन संगे खेललकी होला पतिया अचके मचल जाला जाये के पउवाँ। ईयाद आवे गउवाँ॥ शहर सपना अस, ईयाद आवे गउवाँ॥   संगही ईयाद आवे होरहा भुजलका खेतन के डांड़े भागत बेर गिरलका संझा खानि ओरहन धरि धरि नउवाँ। ईयाद आवे गउवाँ॥ शहर सपना अस, ईयाद आवे गउवाँ॥   संगही ईयाद आवे ऊख के तोड़लका पकड़इला पर उखिए उखिए पिटलका ठेहुना क दरद सरकि के गिरल खउवाँ। ईयाद आवे…

Read More

हम नगर निगम बोलतानी

रात क मुरगा दिनही दारू लड़ी चुनाव अब मेहरारू काम धाम करिहें ना कल्लू मुँह का देखत हउवा मल्लू। जनता खातिर गंदा पानी हम नगर निगम बोलतानी।   साफ सफाई  हवा हवाई चिक्कन होखब चाप मलाई के के खाई, का का खाई इहो बतिया हम बतलाईं। जनता के भरमाई  घानी हम नगर निगम बोलतानी।   सड़क चलीं झुलुआ झूलीं दरद मानी भीतरें घूलीं गली मोहल्ला अंधा कूप दिन में खूबै सेंकी धूप जनता के सुनाईं  कहानी हम नगर निगम बोलतानी।   अब वादा पर वादा बाटै कुछ दिन जनता के…

Read More

कलही मेहरिया

दूभर कइलस चलल डहरिया हो रामा कलही मेहरिया ॥   गाँव के रसता अचके भुलाइल जिनगी में उ जहिया से आइल भूल गइल अपनों सहरिया हो रामा कलही मेहरिया ॥   केहुके न छोड़लस एकहु बाकी कोना अंतरा गउंखा झाँकी ननदो पर ढारत कहरिया हो रामा कलही मेहरिया ॥   भाई भतीजन के देखते खीझे देवरो पर ना उ तनिको रीझे तूर दीहलस घर के कमरिया हो रामा कलही मेहरिया ॥   भोरही से उठिके पढ़ेले रमायन सास ससुर के गरिए से गायन जिनगी बनवलस जहरिया हो रामा कलही मेहरिया…

Read More

मन के बात

बाति कहीं कि ना कहीं बाति मन क कहीं मन से कहीं क़हत रहीं सुनवइया भेंटाई का?   उमेद राखीं भेंटाइयो सकेला कुछ लोगन के भेंटाइलो बा कुछ लोग अबो ले जोहते बा, त बा   सुनवइया मन से बा मन के बा जोगाड़ल बा बिचार करे के होखे त करीं के रोकले बा रोकल  संभवे नइखे लोकतंत्र नु हवे।   जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

Read More

महेंदर मिसिर उपन्यास के बहाने उहाँ के व्यक्तिव पर एगो विमर्श

आगु बढ़े से पहिले कुछ महेंदर मिसिर के बारे में जान लीहल जरूरी बुझाता  –   महेंद्र मिसिर के जनम 16 मार्च 1888, काहीं-मिश्रवालिया, सारण, बिहार  आ उहाँ के निधन 26 अक्टूबर 1946 । उहाँ विद्यालयी शिक्षा ना हासिल होखला का बादो संस्कृत, हिन्दी, उर्दू, फारसी, भोजपुरी , बांग्ला,अवधी, आ ब्रजभाषा के विशद गियान रहे। चबात रहीं।  महेन्दर मिसिर के पत्नी के नाम परेखा देवी रहे। परेखा जी कुरूप रहली।  त कादों एही का चलते  गीत-संगीत में अपने मन के भाव उतरले बाड़ें महेन्दर मिसिर।  महेंदर मिसिर के एकलौता बेटा…

Read More

मसाने में

शिव भोले हो नाथ, शिव भोले हो नाथ चलि अवता दिल्ली मसाने में।   अवता त देखता दिल्ली के हालत दिल्ली के हालत हो दिल्ली के हालत सभे जूटल दारू पचाने में । शिव भोले हो…….   अवता त देखता नेतन के हालत नेतन के हालत हो नेतन के हालत सभे जूटल ई डी  से जान बचाने में । शिव भोले हो…….   अवता त देखता पपुआ के हालत पपुआ के हालत हो पपुआ के हालत देखS जूटल, देस क इजत भसाने में । शिव भोले हो…….   अवता त…

Read More

अंगार पड़ गइल

का जमाना आ गयो भाया,आजु कल त सभे के सेस में बिसेस बने के लहोक उठ रहल बा। भलही औकात धेलो भर के ना होखे। सुने में आवता कि एगो नई-नई कवयित्री उपरियाइल बानी आ कुछ लोग का हिसाब से उ ढेर नामचीन हो गइल बानी । मुँह पर लेवरन पोत के मुसुकी मारल उहाँ के सोभाव में बाटे। कुछ लोग त उनुका एगो अउर सोभाव बतावेला। कबों रेघरिया के त कबों लोर ढरका के, कबों जात-धरम के पासा फेंक के एगो-दू गो कार्यक्रम में अतिथिओ बनि के जाये लगल…

Read More

भोजपुरी साहित्यकार जयशंकर प्रसाद द्विवेदी के ‘काव्य कौस्तुभ’ के मानद उपाधि मिलल

हिंदुस्तानी अकादमी के भिखारी ठाकुर सम्मान से सम्मानित भोजपुरी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद द्विवेदी के ‘काव्य कौस्तुभ’ के मानद उपाधि से नवाजल गइल। साहित्य मंडल नाथद्वारा राजस्थान में  आयोजित भगवती प्रसाद देवपुरा स्मृति एवं राष्ट्रीय बाल साहित्य समारोह ( 6 – 7 जनवरी 2023) के उहाँ के एह  उपाधि से सम्मानित कइल गइल । बतावत चलीं कि जयशंकर प्रसाद द्विवेदी के अब तक ले 5 गो पुस्तक प्रकाशित हो चुकल बाडी आ उहाँ के 3 गो पुस्तकन के  सह सम्पादन कर चुकल बाड़ें। भोजपुरी साहित्य सरिता पत्रिका का पछिला …

Read More

अँगनइया लोटे बबुआ

अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया हो अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया॥2॥ लेहिंजा बलाइया हो लेहिंजा बलाइया अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया।।   अँगना भर, धुरिये फइलावेला मुँहे भरिके, देही लगावेला धुरिये से पोत लेला दूनों कलइया। हो अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया। अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया॥   पवते मोका, भागेला दुअरे सोचत आवे ना, केहू नियरे धउरी धउरी ईया उठावेलीं कन्हइया। हो अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया। अँगनइया लोटे बबुआ, लेहिंजा बलाइया॥   देखि देखि बाबा, उचकि निहारे उहो न रहि पावें, बेगर दुलारे बोली बोली बबुआ के बाबू…

Read More