हमनी अइसन नगर में बसे खातिर रहली जा सरापित जेहवाँ सलीका के ना बाँचल रहे केवनो पड़ोस सिरमौर बनि के रहे जिनगी में तटस्थता बिना केवनो काम के प्रतिरोध एह घरी खलिसा एगो रूप मानल जात रहे मूर्खता के जेकरा किछुओ भेंटा जात रहे ऊहे मानल जात रहे रसूख़दार पद पैरवी पुरस्कारे से आँकल जात रहे केवनो आदमी के सरकारी संस्थानी ‘साहित्यभूषण’ के उपाधिए पहचान बनि गइल रहे बड़हन साहित्यकार के जे एक्को दिन क्लास में जाइ के ना पढ़ावत रहे ऊहे पावत रहे शिक्षक शिरोमणि के सम्मान चरने चाँपल…
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सतुआ
पहिले सतुए रहे ग़रीबवन के आहार केहू जब जात रहे लमहर जात्रा प त झट बान्हि लेत रहे गमछा में सतुआ,नून, हरियर मरीचा आ पियाजु के एकाध गो फाँक केवनो चापाकल भा ईनार से पानी भरि के लोटा भर सुरूक जात रहे केहुओ बेखटके ऊ बिस्लरी बोतल के ज़माना ना रहे सतुआ सानि के गमछिए प खा लिहल जात रहे ओह घरी गरमी में केवनो पीपर,बर आम भा महुआ के छाँह में पहिले लोग क लेत रहे गुज़र-बसर सतुओ खाके ओह घरी बजार में बेंचात ना रहे केवनो फास्टफूड अब…
Read Moreबैनीआहपीनाला
प्यार के रंग कइसन होला का ख़ूब गाढ़ लाल ओढ़हुल के फूल नियर का ख़ूब गाढ़ पीयर सरसों के फूल नियर का ख़ूब गाढ़ नीला अलसी के फूल नियर का ख़ूब गाढ़ हरियर घास नियर का ख़ूब गाढ़ कत्थई पाकल सेब नियर का ख़ूब झक्क सफ़ेद चाँदनी नियर आख़िर कइसन होला रंग प्यार के का रंग प्यार के बैंगनी होला आसमानी होला नारंगी होला का प्यार के रंग में शामिल नइखन स सब रंग दुनिया के एकरा में शामिल…
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