बाबूजी

घरवा के मुखिया लइकन के मुस्कान बाबूजी के पाकिट में रहेला सब के जान। सब के ख़ुशहाली बजा के ताली सब दुख दूर होला चुटकी में खाली। बाबूजी जइसन छाता हमनी के विधाता। दुनिया जहान में नइखे आइसन सुंदर नाता। माई के सिंदूर चमके। खेत बधार गमके। बाबूजी के पसीना से अंगना अँजोर दमके। बहाके पसीना जगाके आस। रोटी में आवेला मिठास। कर देलन चुटकी में दूर परेशानी, उनका जइसन केहू नइखे ख़ास। सविता गुप्ता राँची झारखंड

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