त्याग

फागुन के रात बा । आम के बउर के गमक लेके नवबसंत के मीठ-मीठ हवा बहsता। तालाब के किनारे एगो पुरान लीची के गाछ  के घन पतsइयन के बीच से रात-रात भर जागे वाला कवनों बेचैन पपीहा के  तान मुखर्जी के घर के एगो निद्राहीन शयन कक्ष में प्रवेश कर रहल बा । हेमंत तनी चंचल भाव से कब्बो आपन मेहरारू के माथा में बांन्हल जूड़ा के केश खोल के आपन अंगूरी में लपेटsता, कब्बों ओकर कडा के चूड़ी में भिड़ा के टन-टन आवाज करsता, आ कब्बो ओकर जुड़ा में लपेटाइल माला…

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