भोजपुरिया समाज में ‘भिखारी ठाकुर’ होखला के माने-मतलब

एगो अइसन समाज जहवाँ लइका जनम का संगही पलायन अपना भाग के लिखनी में लिखवा के आवत होखे,जहवाँ आँख खोलते बाढ़, सुखाड़,गरीबी,भुखमरी आ अशिक्षा में सउनाइल समाज लउकत होखे,जात-पाँत, ऊंच-नीच, छुवाछूत, शोषण का संगे लइका बकइयाँ चलल सीखत होखे, जहां दू-जून के रोटी कुछे लोगन के समय से भेंटात होखे, जहवाँ लइकइयाँ से सोझे बुढ़ापा से भेंट होत होखे आ जहवाँ अमीरी गरीबी का बीचे बहुते गहिराह खाईं होखे, अइसन समाज अजुवो आपन लोक,संस्कार आ संस्कृति जोगावत चलल आवत बा, त कुछ न कुछ त खासे होखी।उ समाज अपना भीतरि…

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