भुला गइला का..!

बम्बई नगरिया,मोहा गइला का। नाहीं अइला बदरवा,भुला गइला का।। तलवा तलइया कै फाट गइलैं सीना, खेतवा टिबुलिया के छूटल पसीना, गउवांं से लागे, अघा गइला का। नाहीं अइला बदरवा,भुला गइला का।। डहके गगनवां अ सिसके धरतिया, सुलगे सिवनवां न आवे ले बतिया, कउनो गलइचा, ओंघा गइला का। नाहीं अइला बदरवा,भुला गइला का।। धुरिया उड़ावे ला पापी पवनवा, गउवां के देवता कै जरेला सपनवां, बतिया प कउनो, कोंहा गइला का। नाहीं अइला बदरवा,भुला गइला का।। तउवा प जइसे, छनकेला पानी, वइसे भइल ‘लाल’ सबकर कहानी, चार बूंद चुयि के, हेरा गइला…

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