बोरसी

घर में नाया सामान के अइला पर पुरनका के पूछ घट जाला कबो कबो त खतमें हो जाला , कमो बेस घर परिवार आ हितइयो के ईहे हाल होला जइसे जीजा के अइला पर फूफा के पूछ कम हो जाला, बेटी के होते बहिन के पूछ घट जाला ,नात नतकुर के होते आजा आजी पर फोकस कम हो जाला । ठीक अइसहीं अनदेखी क सिकार बेचारी ‘बोरसी’ देवी भी भइल बाड़ी। हीटर आ ब्लोवर के अइला से बोरसी देवी घर से बहरे क दीहल गइली, एकाध जनी बचल बाड़ी त…

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हम गाँव क हईं गँवार सखी

हम गाँव क हईं गँवार सखी! हम ना सहरी हुँसियार सखी! बस खटल करीला सातो दिन, आवे न  कबो  अतवार  सखी! हम गाँव क हईं गँवार सखी! लीची,अनार,अमरूद,आम, सांझो बिहान खेती क काम, घेंवडा़,लउकी,धनिया जानी, ना जानीं हरसिंगार सखी!हम गाँव क हईं गँवार सखी! इहवाँ जमीन बा बहुत ढेर, असहीं उपजे जामुन आ बेर, इ गमला में के फूल ना ह, जे खोजे सवख सीगांर सखी! हम गाँव क हईं गँवार सखी! गोबर-गोथार , चउका-बरतन, अंगना,दुअरा सब करीं जतन, दम लेवे भर के सांस न बा, बानीं तबहूं बेकार सखी!…

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