गाईं कइसन लोरी

आगि लागल बा मन में बोताईं कहां, सुतल हियरा के फेरु से जगाईं कहां।   कुछ कहला प छन दे छनकि जाले उ, सांच बतिया के लोरी गवाईं कहां।   उ पवले का पद भूलि जा तारे हद, अइसन दरद प मल्हम लगाईं कहां।   देवे के उपदेश उन्हुका आदत परल, हिम्मत रउवे बताईं कि पाईं कहां।   देखीं जेकरा के फफकल उताने भइल, भाव के भरल ई खटिया बिछाईं कहां।   करी कतनो हम आस मिले केहु ना खास, दिल में उगल अंजोरिया देखाईं कहां।   पवनी जेकरा के…

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तलफत भुभुरी सोंच के

सोंचे में सकुचातानी कहे में भीतरे डेराइला, रोज अंजुरी में धुंध सहोरले दिल के कठवत में नेहाइला।। बेवहार के बागि नोचाता फीकीर केहुके हइए नइखे, जब कहीं करम के पटवन कर त हम केकरो ना सोहाइला।। सभे बवण्डर बनिके चले रेगिस्तानी राग अलापता, कपट के करवन लोटकी से सभके के नेहवाइला।। कसमकस से कलपत काया करीखा के बनल संघाती, सोंच के तलफत भुभुरी में डेगे डेग नहाइला।। जेने देखीं झूठ के ढेरी ना बाजे कवनो रणभेरी, आंखि अछइत आन्हर भइनी कुकुर जस चिचिआइला।। कइसन दइब के ज्ञानी बस्तर झूठ फरेब…

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रउरा कहां सेयान बानी?

रउरा ना बुझबि सियासत रउरा अबहीं इंसान बानी, नेता खाली लाल बुझक्कड़ रउरा कहां सेयान बानी।। जनता जाहिल भकचोन्हर नेता नीमन सभमे सुनर, नेता छोडि़ सभे बा द्रोही नेताजी ग्यान बिग्यान बानी, रउरा कहां सेयान बानी।। रउरा सुनी इन्हिकर बात नीमन सीखइहें जात पात, एकरा से बड़ त सास्तर नइखे हमनी के इन्हिकर लगान बानी, रउरा कहां सेयान बानी।।       देवेन्द्र कुमार राय (ग्राम+पो०-जमुआँव, थाना-पीरो, जिला-भोजपुर, बिहार)  

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