भोजपुरी गीतन में होली वर्णन

भोजपुरिया धरती उत्सवधर्मी  धरती ह। भोजपुरिया लोकजीवन मुख्य रूप से खेती-किसानी पर आधारित बाटे ना, त मेहनत मजदूरी पर। भोजपुरिया लोकजीवन के हर एक परब त्योहार कृषि से जुड़ल बाटे। एह त्योहारन में होली-फगुआ के त कहहीं के का बा?घर के कोठिला में घान-चाउर भरल रहेला, बघार में गेहूँ गदरात रहेला,आम-महुआ मोजरात रहेला आ सरसो पिअर रंग फुलाए लागेला,त समझीं बसंत आ गइल बा। किसान-मजदूर देख-देख हरखित होला आ बसंत पंचमी से शुरू होखे वाला होरी के उत्सव अबीर खेल के शुरू करेला आ लगभग चालीस दिन तक एह त्योहार…

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