सुनीं ना अरज मोरे भइया हो

भोजपुरी कविता प जब बात होई त भोजपुर के भोजपुरी कविता प जरूर बात होई भा होखे के चाहीं। भोजपुर के जमीन भोजपुरी कविता खातिर काफी उपज के जमीन ह। भोजपुर के भोजपुरी कविता के एगो महत्वपूर्ण पक्ष ह ओकर जनधर्मी मिजाज। सत्ता से असहमति आ जन आ जन आंदोलन से सीधा संवाद। रमाकांत द्विवेदी रमता, विजेंद्र अनिल, दुर्गेंद्र अकारी एही जमीन के खास कवि हवें। कृष्ण कुमार निर्मोही के नांव भी एह जमीन से जुड़ल बा। एह बीचे जितेंद्र कुमार के भी कविता सोसल मीडिया प लगातार पढ़े के…

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मय सिवान के चोली-चूनर धानी लेके

ए. बी.हॉस्टल, कमच्छा, वाराणसी में रहत समय अकसरहां सांझ के कवनो ना कवनो टॉपिक प चरचा छिड़िए जात रहे। सारंग भाई (स्व. सुरेंद्र कुमार सारंग) एह चरचा के सूत्रधार होत रहलें। एही तरे एक दिन चरचा होये लागल भोजपुरी के कवि जगदीश पंथी के एगो गीत प। ऊ गीत रहे- ‘रुनुक झुनुक बाजे पायल तोहरे पंउवा/ बड़ा नीक लागे ननद तोहरे गंउवा।’ सारंग भाई ऊ गीत सुनवलें आ ओकर तारीफ कइलें। सारंग खुद बढ़िया गीत लिखत रहलें। जगदीश पंथी के नांव पहिल बेर हम ओहिजे सुनलें रहीं। गीत में गांव…

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धनवा-मुलुक जनि बिआह हो रामा

भोजपुरी कविता में महिला कवि लोग के उपस्थिति आ ओह लोग के कविता पर विचार, आज के तारीख में एगो गंभीर आ चुनौतीपूर्ण काम बा। एह पर अब टाल-मटोल वाला रवैया ठीक ना मानल जाई। भोजपुरी के लोकगीत वाला पक्ष हमरा नजर में जरूर बा। लोकगीत के अधिकांश महिला लोग के रचना ह, भले केहू के नांव ओह में होखे भा ना होखे। एहिजा लोकगीतन के चरचा हमार मकसद नइखे। भोजपुरी कविता के जवन उपलब्ध भा अनुपलब्ध बिखरल इतिहास बा, ओह के गहन-गंभीर अध्ययन के जरिए ही एह विषय प…

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खेलगीत के तर्ज प

‘तीन तलक्का’ नवगीत ओम धीरज जी के भोजपुरी गीत-संग्रह ‘रेता पड़ल हिया में’ में संकलित बा। ओम जी हिंदी आ भोजपुरी में गीत लेखन में सक्रिय बाड़न। ऊ उत्तर प्रदेश शासन के वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी रहलें। सेवामुक्त होके बनारस में रह रहल बाड़न। बचपन के खेलगीत ‘ओक्का बोक्का तीन तड़ोका’ के तर्ज प रचल एह गीत में ऊ का कहल चाहत बाड़न, बूझे के जरूरत बा। ध्यान देवे के बात बा कि एह में तीन गो खेलगीत बा। शुरू में ‘ओक्का-बोक्का’ बा आ आखिर में ‘अक्कड- बक्कड़’। बीच में दोसर…

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धुआंला ना जेकर चुहानी ए बाबू

आसिफ रोहतासवी के नांव भोजपुरी गजल लिखे वाला ओह लोग में शामिल बा, जे गजल के व्याकरण के भी खूब जानकार बा। उनकर रचनाशीलता के पूरा निचोड़ गजल ह, खास क के भोजपुरी गजल। खाली भाषा से ही ना, पूरा मन मिजाज से ऊ भोजपुरी के गजलकार हवें। भोजपुरी के लोकधर्मी गजलकार कहे में हमरा कवनो उलझन नइखे। काहे कि उनकर गजल जवना चीज से बनल बा, जवना दरब से (ई शब्द हम अपना बाबा से सुनले रहीं। ऊ पइसा- कउड़ी के अर्थ में प्रयोग करत रहलें। इहां द्रव्य के…

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मामा के सपना, उनकर सुख आ बिछोह

जितेंद्र कुमार हिंदी आ भोजपुरी दूनो भाषा में कविता, कहानी, समीक्षा आ संस्मरण लिखेलन। जितेंद्र कुमार के हिंदी आ भोजपुरी के कुछ किताबो छपल बा, जेकर चर्चा लोग करत रहेला। जितेंद्र जी के भोजपुरी कहानी के एगो किताब ह ‘गुलाब के कांट’। ओह में एगो कहानी बा ‘कलिकाल’। ‘कलिकाल’ के बारे में लोक में अनेक रकम के बात चलत रहेला। कुछ लोग ‘कलयुग’ कहेला। कुछ लोग ‘कलऊ’ कहेला। जब नीति-अनीति के बात होला, झगड़ा के, झंझट के, भाई-भाई के बीच विभेद के, रसम-रेवाज के टुटला के, त लोग कहेला कि…

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मोथा आ मूंज के जिद आ धार के गजल

भोजपुरी के कवि शशि प्रेमदेव के दूगो गजल भोजपुरी के पत्रिका ‘पाती’ के अलग अलग अंक में जब पढ़लीं त ई महसूस भइल कि एह कवि के ठीक से पढ़े के चाहीं। ई कवि आज के समय के कटु सत्य के अपना गीत- गजल के विषय बना रहल बा। ऊ समय के सांच के कहे में नइखे हिचकत। सांच कहल आज कतना कठिन भ गइल बा, ई हमनी के बूझ- समुझ रहल बानी जा। हमनी के जाने के चाहीं कि हर थाना में चकुदार (चौकीदार) होलें। उनकर काम रहत रहे…

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टिकुरी से बहावल अंखिए बर रहल बा

रामजियावन दास बावला के एगो गीत राह चलते इयाद आवेला आ मन ओह गीत के गुनगुनाए लागेला। ऊ गीत ह -” हरियर बनवा कटाला हो कुछ कहलो ना जाला।” आगे के लाइन ह -” दिनवा अजब चनराला हो, कुछ कहलो ना जाला। ” हरियर बन के कटाइल एगो मामिला बा जवन रोज देखे में आवत बा। रोज हरियर गांछ -बिरिछ विकास के नांव प कटा रहल बा। बन उजड़ रहल बा। जंगल प माफिया आ कॉरपोरेट जगत के दबाव बढ़त जा रहल बा। ई सब हो रहल बा आ बावला…

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बावला: एगो किसान कवि

रामजियावन दास बावला भोजपुरी के एगो कवि, पुरनकी पीढ़ी के. इनका के जाने वाला जादेतर लोग भक्त-कवि मानेला, राम कथा से जुडल कवितन के चर्चा करेला. बात सहियो लागत बा. कतने कुल्हि प्रसंग बा इनका कविता में जवन कुछ त तुलसी-वाल्मीकि से मेल खाला आ कुछ एक दम इनकर आपन कल्पना के उपज ह. मेल खाए वाला प्रसंगों जवन बा तवन खाली घटना के आधार पर मेल खाला, ओहकर प्रस्तुति एक दम नया बा. आ मिलतो बा त कुछे-कुछ. भोजपुरी में उपजीव्य काव्य के परंपरा देखे में आ रहल बा.…

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