बसमतिया

बसमतिया के उपर बडा कठिन समय बा हस्पताले चहुपे के ।सॉय सॉय करत अन्हरीया बा । कोरा मे बोखार से तपत ओकर साल भर क् बेटवा। फटहीा लुगरी मे लपेटले अपने दुधमुहा दुलरूवॉ के करेजा से चिपटवले बसमतिया अपने भतारे के पीछे पीछे भागत चलत जात बदहवासल एक गो मतारी “का जाने भगवान हमसे काहे के नराज हउए?…..हमरे पुजा भगती मे कौन कसर रहि गयल का जाने गोलूआ के बाबू से कउनो अनहित ना न भईल जवने से देवी देवता नराज हउए गोलुआ क् शरीर तवा जैसन जरत बा.. दोहाइ…

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बदरो मरसिया बांचत ह

संवत २०७३ अषाढ़ अन्हरिया पख के  रात क समय बा सगरो आसमान में बदरी घेरले ह तनिकों देखात नइखे , हवा सिहरा देत बा । हल्की झींसी पडै़ लगल ह , हवा चहूँ ओर सांय सांय करत बा । पुरा गोपालपुर गॉव नींद मे सुतल ह ,लेकिन हमरे आंखी मे नींद कहॉ ? अब पहिले जइसन गाव ना रहल । ई बात ना ह कि गॉव विकास ना भइल । परमुख बाबा राजनाथ के परयास से गॉव मे पिच रोड़ ,खरंजा, पा० स्कूल बा सोसाईटी क गोदाम बा पंचायत भवन…

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