मई में माई चल गइल

“डभकेला मन के सपन, माई पसवे लोर । आस सेराइल जा रहल दुख के ओर न छोर।।”(सुकुपा)   ‘मातृदिवस’ के  छव दिन पहिलहीं एह साल  3 मई के माई विदा ले लिहलस।जब से एह दिवस विशेष के प्रचलन भारतो में खूब बढ़ गइल , माई के फोटो हम  फेसबुक पर डालल शुरु कर दिहनीं ।एह मौका पर हम माई से जब कहीं कि “फलनवा तोरा के परनाम लिखले बाड़ें” तब  ऊ कहे कि “तूहूं हमरा ओरी से आसीरबाद लिख दs।सब बाबू आ बबुनी लोग हंसी-खुसी  से रहो,सभे फलल-फुलाइल रहो।” अबकी…

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