गाँव आ गँवई नारी के हालत क पोढ़ लेखा-जोखा- “के हवन लछुमन मास्टर”

यथार्थ के खुरदुरा जमीन पर आम आदमी के जूझत जिनगी के जियतार बखान लीहले भोजपुरी के सुप्रसिद्ध कथाकार श्री कृष्ण कुमार जी के भोजपुरी क पहिलका उपन्यास आजु के समाज के आधी आबादी जेकर चरचा हर ओरी बा, बेटी पढ़ावों, बेटी बचाओ, के नारा लग रहल बा, “के हवन लछुमन मास्टर” के रूप मे हमनी सभे के सोझा बा । उपन्यास आपन शिल्पगत विशेषता आउर तथ्य आ कथ्य के संगे जिनगी के जवन ब्याख्या देवेला, उ जियतार होला आ समाज खाति एगो अन्हरिया मे टिमटिमात दियरी लेखा सहारा बनेला। ई…

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