गाँव आ गँवई नारी के हालत क पोढ़ लेखा-जोखा- “के हवन लछुमन मास्टर”

यथार्थ के खुरदुरा जमीन पर आम आदमी के जूझत जिनगी के जियतार बखान लीहले भोजपुरी के सुप्रसिद्ध कथाकार श्री कृष्ण कुमार जी के भोजपुरी क पहिलका उपन्यास आजु के समाज के आधी आबादी जेकर चरचा हर ओरी बा, बेटी पढ़ावों, बेटी बचाओ, के नारा लग रहल बा, “के हवन लछुमन मास्टर” के रूप मे हमनी सभे के सोझा बा । उपन्यास आपन शिल्पगत विशेषता आउर तथ्य आ कथ्य के संगे जिनगी के जवन ब्याख्या देवेला, उ जियतार होला आ समाज खाति एगो अन्हरिया मे टिमटिमात दियरी लेखा सहारा बनेला। ई…

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मुफ़लिसी में चमकल नगीना-हीरा प्रसाद ठाकुर

साहित्य के अखाड़ा मे कुछ अइसनो  कवि आ लेखक पहलवान पैदा भइलें,जे ‘स्वांतः सुखाय’ खातिर आपण कलाम दउरावत रहलें आ अपना कृतिअन के प्रकाशन आर्थिक लाभ के दृष्टि से ना बलुक सेवा भावना से करत रहि गइलें आ उ ग्लोबल हो गइलें।ओइसनें हिन्दी आ भोजपुरी के सुपरिचित गीतकार कविवर ‘हीरा प्रसाद ठाकुर’ जी रहनीं। उहाँ के भोजपुरी साहित्य के मुख्यधारा से एकदमे अलग-थलग। पाटी-पउवा से कोसहन फरका। पत्र-पत्रिकन से कवनों मतलब ना। सोरहो आना स्वतंत्र। नदी के बहाव लेखा उन्मुक्त रहिके आपण लेखनी गोदनी। ‘माटी के आवाज’ नामक कविता संग्रह…

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