निमिया के पात पर

निमिया के पात पर सुतेली मयरिया,ए गुंइया। क‌इसे करीं हम पुजनियां,ए गुंइया।। धुपवा जराइ हम ग‌इनीं जगावे,ए गुंइया। म‌इया का ना मन भावे, ए गुंइया।। गंगा जल छींटि छींटि,लगनी जगावे,ए गुंइया। म‌इया करो ना घुमावे,ए गुंइया।। अछत,चनन,छाक,ग‌इनी चढ़ावे,ए गुंइया। म‌इया का ना इहो भावे,ए गुंइया।। मालिनि बोला के कहनीं,मलवा ले आवे,ए गुंइया। म‌इया मूड़ी ना उठावे,ए गुंइया।। पूआ-पूरी ले के ग‌इनीं,भोगवा लगावे,ए गुंइया। म‌इया तबो ना लोभावे,ए गुंइया।। पुतवा बोला के कहनी,झुलुहा लगावे,ए गुंइया। म‌इया झट उठि आवे,ए गुंइया।। अनिल ओझा ‘नीरद’

Read More