बकरिया रे

बकरिया रे
तोर महिमा बा भारी
गुन गावे खूबे संविधान सरकारी !
दुधवा जे पियेला
उ बनेला महातमा
दुनिया कहेला महामानव देवातमा
आजु होला पठरुन के बलि बरियारी !
तोरे से आ तोरे खातिर
तोरे लोकतंतर
ज्ञानी जन दिने राति जपे इहे मंतर
बाकिर तोरा घरवा के देवेलन उजारी !
तहरे के बेचि कीनि
चले दुकनदारी
दूहि गारि लेवे नीके देवे दुतकारी
काहें टुकुर टुकुर ताकि बनेलू बेचारी !
तहरा के दूहे
सभ केहू पारापारी
तबहूँ ना जिनगी के सधे देनदारी
लोहू पीये मास चाभे बने अवतारी !
सभ अनमोल धन
धरती के फेंके
सभ रूप रस गंध सँचल हबेखे
मगन भगत पाव पूजे धुँधकारी !
फानि कूदि बनरा
बइठेला डारी डारी
लोली थोथी देके बिकवावे लोटा थारी
कांटक – भेंजावे सभकुछ ससुरारी !
  • सुरेश कांटक

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