ग़ज़ल

प्यार नइखे गर जिया में, जिंदगानी डाँड़ बा ।
रौब झाड़े चढ़ उतानी, तब जवानी डाँड़ बा ।।
लाज अउरी शान बाटे, आदमी में आब ही,
बे-हायाई में मिलावल, यार पानी डाँड़ बा ।।
दाग इज्ज़त में बिया, जिनके तनिक उनके बदे,
लाल पीला या गुलाबी, रंग धानी डाँड़ बा ।।
बाप आ भाई क पगिया, बोर दे जे चाल से,
घर अँटारी में पलल, बिटिया सयानी डाँड़ बा ।।
बाँट अँगना घर दुआरी, दुश्मनी भाई करें,
आज बड़की गोतिनी, या देवरानी डाँड़ बा ।।
शोर जवना घर मचे ना, कंगना पाजेब से,
ओ घरे में भोर आ, संझा सुहानी डाँड़ बा ।।
बात नैना नैन में होवे न पावे प्यार से,
दिल लगावल आ सुनावल सब कहानी डाँड़ बा ।।
दूध नीयन स्वाद देले भोजपुरिया गीतिका,
“राजभर” अश्लीलता में गीत बानी डाँड़ बा ।।
  • हरिलाल राजभर ‘कृषक’
कुचहरा, बिजपुरा, मऊ, उ० प्र०
९४५२८१००४९

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