ईयाद आवे गउवाँ

शहर सपना अस, ईयाद आवे गउवाँ

खेत, खरिहान अउर पीपर के छउवाँ

ईयाद आवे गउवाँ॥

 

संगही ईयाद आवे,  ईया के बतिया

लइकन संगे खेललकी होला पतिया

अचके मचल जाला जाये के पउवाँ।

ईयाद आवे गउवाँ॥

शहर सपना अस, ईयाद आवे गउवाँ॥

 

संगही ईयाद आवे होरहा भुजलका

खेतन के डांड़े भागत बेर गिरलका

संझा खानि ओरहन धरि धरि नउवाँ।

ईयाद आवे गउवाँ॥

शहर सपना अस, ईयाद आवे गउवाँ॥

 

संगही ईयाद आवे ऊख के तोड़लका

पकड़इला पर उखिए उखिए पिटलका

ठेहुना क दरद सरकि के गिरल खउवाँ।

ईयाद आवे गउवाँ॥

शहर सपना अस, ईयाद आवे गउवाँ॥

 

संगही ईयाद आवे साग के खोटलका
बरिजला पर मुँहफुकवना बोललका

सिवाने मचान रहे सुबहित ठउवाँ॥

ईयाद आवे गउवाँ॥

शहर सपना अस, ईयाद आवे गउवाँ॥

  • जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

 

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