बेसुरा कुछ लोग,लय क
चासनी लेके खड़ा बा
शब्द के फींचे सुखावे
अरगनी लेके खड़ा बा/
रेलगाड़ी के सफर में
दूर से सीवान देखे
आंखि पर ऐना चढ़ा के
झिरखिरी से चान देखे
दिनकेउजियारे दिया भर
चांदनी लेके खड़ा बा/
ककहरा भर पाठ पढ़िके
रोज भासा ज्ञान बांटे
राह जे चीन्हें न जाने
राह क पहिचान बांटे
आंखि ना दीदा ,समय क
तरजनी लेके खड़ा बा/
पांव के नीचे न माटी
माथ पर आकास ढोवे
समय के रुख पर चले जे
बहत गंगा हाथ धोवे
ऊ भगीरथ क कठिन तप
आसनी लेके खड़ा बा/
- डॉ कमलेश राय