आपन बात

ईश्वर की सृष्टि के साथ मिले, त तनाव दूर होखे के सथहीं रचना में इहे आदमी के मूड के बेहतर करे के रसायन भी बन जाला। ई हमनी के शरीर  के कोशिका  सभन के भी पोषित करेला। । मानसिक स्वास्थ्य खातिर भी  ई एगो   टॉनिक होखेला।  एहसे ऊर्जा, ताजगी, चैतन्यता के साथे  जीवनशक्ति बढ़ जाला। प्रकृति के रचना के संग सुकूं आ शांति भी मिलेला जेह से तनाव आ चिंता भी  दूर  हो जाला आ सोच  सकारात्मक दिशा के साथ कुछ नया करे खातिर प्रेरित करेला।अइसहीं सभ त्योहार के आपन परंपरा होखेला। संबंधित जन-समुदाय एकरा में एक साथ भाग लेवेला । त्यौहार सब जनमानस के एकता में बाँधे में सफल करावेला। एही  से  जीवन में त्योहारन के बड़ी महत्व होला।

चैत महीना राम जी के जन्म के महीना ह।उत्तर प्रदेश और बिहार के लोकगीतन में चइता सुंदर राग के एगो अनुपम पहचान  बा। राम जी के जनम, प्रकृति के सुन्नर रूप आ दिन के गर्मी से बेकल मनके अकुलाहट ओकरे साथे बढ़त रात में एकाकी मन के ब्याकुलता ई दुनों मिलन आ बिछुडन के रागात्मक चित्रण चइता में मिलेला। ई गीत चइत के महीना में गावल जालें। कई जगह पर चैता उत्सव के आयोजन भी कइल जाला। मिथिला क्षेत्र में एकरा के चइती कहल जाला। चइता आ चाहे चइती दुनो एकही विधा ह। फागुन के पसरल रंग अचके गरम घाम में कहाँ बिला जाला। सब चइत के विषय ह जे चित्त के दशा के व्यक्त करेला।सतुआन परब इहे महीना के तेवहार ह। सतुआ के सोन्ह गंध  ,आम के चटनी के मुंह पनीआइल खटतुरुस स्वाद, गुड़ के मीठा स्वाद आ एही में गँवइ परिवेश में कुलदेवता के माध्यम से प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करे के ई परब ह जे समाज के कहनियन में महत्वपूर्ण स्थान रखेले।

एगो आउर बात, बाबासाहेब आंबेडकर के जयन्ती हमनी के देश आ कानून के प्रति समर्पण के भी एगो अनुपम मौका मिलल बा।

तो आईं सभे, मिलजुल के देश आ समाज के सब संदेश आ आपन सभ्यता और संस्कृति से सब जनमानस के बतावल जाव। सभे के आपन माईभाखा में लेखनीबद्ध करके एकरा के लिखित धरोहर बनावल जाय।

 

  • डॉ  रजनी रंजन

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