नदिया भेदवा खोलत बिया

करिआ

चितउरि बोलत बिया।

 

कर्फू लागल बहरा  बा

सांसन ऊपर पहरा बा

खाली खतरे खतरा बा

 

नइया

डगमग डोलत बिया।

 

घरवो के भीतरा डर बा

गांवन से बुरा खबर बा

बांचल ना कौनो दर बा

 

नदिया

भेदवा खोलत बिया।

 

– डाॅ. हरेश्वर, सतना

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